एक कलाकार जिसने रेत को दी एक नई पहचान

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अपनी बेहतरीन रेत कलाकारी से सुदर्शन पटनायक ने भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक अनूठी पहचान बनायीं है। अपनी कला की बदौलत सुदर्शन को देश और विदेश में कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया। बचपन में जब उनकी उम्र के बच्चे पेंसिल से कागज़ पर चित्रकारी किया करते थे, उस समय सुदर्शन रेत को एक बड़े केनवस की तरह इस्तेमाल कर उस पर ढ़ेरों आकृतियां उकेरा करते थे।

sudarshan-pattnaik7Image Source: http://images.indianexpress.com/

अभावों में बीता बचपन
सुदर्शन का जन्म 15 अप्रैल, 1977 को ओडिशा के पुरी जिले में हुआ। जब उनकी उम्र 4 वर्ष थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उनकी बूढ़ी दादी के कन्धों पर आ गई। उस समय उन्हें सिर्फ 200 रुपय की पेंशन मिलती थी, जिसमें उन्हें सुदर्शन और उनके बाकी तीन भाइयों का पालन-पोषण करना होता था। इस वजह से घर में हमेशा आर्थिक तंगी रहती थी।

sudarshan-pattnaikImage Source: https://tvaraj.files.wordpress.com

आर्थिक दिक्कतों के कारण छोड़नी पड़ी पढ़ाई
घर में हमेशा पैसों की दिक्कत रहती थी। हालत इतनी ख़राब हो गई थी कि सुदर्शन को छठी कक्षा में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। जब वह सिर्फ आठ साल के थे तब उन्होंने घर में आर्थिक मदद देने के लिए दूसरों के घर में काम भी किया। उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वह अपना चित्रकारी का शौक पूरा करने के लिए रंग और दूसरे सामान खरीद सकें। इसलिए जब भी उनका मन चित्रकारी करने का होता, वह समुन्द्र किनारे जाकर अपने अंदर छुपी प्रतिभा को रेत पर कला के माध्यम से उकेर देते।

Indian sand artist PatnaikImage Source: http://s1.reutersmedia.net/

धीरे-धीरे दुनिया में मिलने लगी पहचान
सुदर्शन के काम को देश और विदेश दोनों में पहचान मिलने लगी। 1995 में पहली बार रेत चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उन्हें अमेरिका से न्योता आया, लेकिन वीजा न मिलने के कारण वह अमेरिका नहीं जा पाए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे उन्हें दूसरे देशों से भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के मौके मिलने लगे।

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देश से ज्यादा विदेशों में जीते कई अवार्ड्स
सुदर्शन को अपनी बेहतरीन कलाकारी के लिए कई अवार्ड्स मिले। 2014 में उन्हें देश के सर्वोच्च पुरूस्कार पद्मश्री से भी नवाज़ा गया। इसके अलावा 2008 में ओडिशा सरकार के द्वारा दिया जाने वाला ‘सारला’ अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया गया।

पुरी के समंदर के किनारे कुछ दिन पहले सुदर्शन ने सबसे बड़ा रेत का सैंटा क्लॉज बना कर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया था। रेत-कलाकारी में 9 बार सुदर्शन का नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में आ चुका है। विदेशों में सुदर्शन 50 से भी ज्यादा अवार्ड्स जीत चुके हैं।

sudarshan-pattnaik1Image Source: http://ichef.bbci.co.uk/

दुनिया में जागरूकता लाने के लिए रेत के माध्यम से दिया सन्देश
सुदर्शन पटनायक ने कई बार रेत-कला के जरिये समाज में जागरूकता फैलाना की कोशिश की। उनका यह प्रयास अभी भी जारी है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद, एड्स, धूम्रपान जैसे मुद्दों पर भी दुनिया में जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश की। सुदर्शन पुरी में ‘सुदर्शन सैंड आर्ट इंस्टिट्यूट’ नाम से एक संस्था चलाते हैं। इस संस्था में पूरी दुनिया से बच्चे रेत-कला सीखने आते हैं। इसके अलावा वह ओडिशा अंतरराष्ट्रीय रेत-कला उत्सव के ब्रांड एम्बैसेडर भी हैं। अपने निरंतर प्रयासों से सुदर्शन ने दिखा दिया कि अगर हुनर हो तो कोई दिक्कत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।

sudarshan-pattnaik3Image Source: http://engrave.in/

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