‘वजीर’ एक सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर फिल्म है। फिल्म के डायरेक्टर बिजॉय नाम्बियार ने पूरी कोशिश की है कि फिल्म में सस्पेंस अंत तक बना रहे। यह फिल्म कहीं-कहीं पर स्टोरी से छूटती नजर आती है, तो कहीं-कहीं फिल्म आपको चौंका भी देगी | फिल्म वजीर में सिनेमा जगत के दो बेहद अहम किरदारों ने अपना किरदार बखूबी निभाया है। अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आज भी उनमें कितनी एनर्जी बाकी है। वहीं, फरहान अख्तर ने भी शानदार अभिनय किया है | फिल्म में जॉन अब्राहम ने स्पेशल इंट्री मारी है |
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कहानी की बात करें
फरहान ने इस फिल्म में एक एंटी टेररिस्ट अफसर का किरदार निभाया है। वहीं, उनकी वाइफ का किरदार निभा रही अदिती राव हैदरी ने भी अच्छा काम किया है| फिल्म में फिर इंट्री होती है अमिताभ की, जो शतरंज के गजब के खिलाड़ी होते है। अमिताभ और फरहान की दोस्ती बढ़ती है तो दोनों अपना दुख भी साझा करते हैं और फिर कई रहस्य से रुबरु होते हैं | सस्पेंस और थ्रिल कई बार फिल्म में रोमांच पैदा करता है तो कई बार कमजोर पटकथा की वजह से फिल्म मारी जाती है। फिल्म में कई बार किरदार भी कुछ अनसुलझे से नजर आते हैं, लेकिन दोनों कलाकारों की बेहतरीन एक्टिंग ने इसे अच्छे से संभाला है।
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स्टार अपील
अमिताभ ने व्हीलचेयर पर बैठकर भी वही कमाल किया है जो वो आम किरदार में करते हैं। उन्होंने शतरंज के खिलाड़ी के तौर पर अपने कैरेक्टर में जान फूंकी है। फिल्म की यूएसपी वही हैं और उन्हें देखना आज भी सुखद है। उधर, फरहान ने भी अच्छी अदाकारी की है लेकिन कहीं न कहीं वो थ्रिल पैदा करने में चूकते हुए नजर आ रहे हैं। यही बात फिल्म में खलती भी है। अदिति राव हैदरी के लिए फिल्म में कुछ खास था ही नहीं और नील नितिन मुकेश, जॉन अब्राहम की जगह कोई और भी ले लेता तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।
फिल्म की समीक्षा
बिजॉय नांबियार अपने स्टाइलिश निर्देशन के लिए जाने जाते हैं। मगर फिल्म के दूसरे हाफ़ में वो शायद कन्फ़्यूज़ थे कि वो एक थ्रिलर बना रहे हैं या फिर ड्रामा। जल्दबाज़ी से भरे एक्शन क्लाईमैक्स के बाद लेखक और निर्देशक दर्शकों को कहानी ज़बरदस्ती सरल करके समझाने की कोशिश करते हैं। जैसे दर्शक तो बेचारे कुछ समझते ही नहीं। दर्शक सब समझते हैं शतरंज भी और फिल्म भी। दर्शकों के लिए भी यह फिल्म अभी तक औसत ही है।