शहीद सतीश कुमार को सभी ने किया नमन

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शहीदों की शहादत को हर भारत वासी नमन करता है, क्योंकि ये अपने देश की निःस्वार्थ सेवा करते हुए वीर गति को प्राप्त हो जाते हैं। और छोड़ जाते हैं अपने परिवार को रोते बिलखते। अनगिनत आंसू के साथ अपने दिल पर पत्थर रख कर मां अपने बेटे को, पत्नी अपने पति को विदा करती है। बच्चे तो अपने पिता के उठने के इंतजार में ही पूरी जिंदगी व्यतीत कर देते हैं।जम्मू कश्मीर में दो आतंकियों को ढेर करने के दौरान शहीद हुए लांस नायक सतीश कुमार का पार्थिव शरीर रविवार सुबह 9 बजे सेना की एम्बुलेंस से हरियाणा के चरखी दादरी के गांव माईकलां में लाया गया। तिरंगे में लिपटे शहीद का शव देखकर पूरा गांव मातम में डूब गया। यहां का नाजारा देख कर लग रहा था कि देश के लिए मर मिटने वाला यह वीर सपूत सिर्फ इस गांव का ही नहीं, बल्कि देश का भी लाल था। जिसने अपने देश की सुरक्षा के लिए आतंकियों को मुहतोड़ जवाब देते हुए दो आतंकियों को ढेर कर दिया।

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इस दौरान तिरंगे से लिपटे अपने पति के शव को देख कर सतीश कुमार की पत्नी बेसुध हो गईं। उनके मासूम बच्चों ने अपने पापा को आख़िरी बार सेल्यूट कर उन्हें अंतिम विदाई दी। सैन्य सम्मान देने आई टुकड़ी के मेजर अभिषेक चड्‌ढा की आंखें यह दृश्य देखकर भर आईं। हजारों लोगों के बीच हरियाणा के इस वीर सपूत को सेना और पुलिस के जवानों ने मातमी धुन बजाकर अंतिम सलामी दी। शहीद सतीश के 10 साल के बेटे नितिन ने आखिरी बार अपने पिता को सेल्यूट करते हुए मुखाग्नि दी तो पूरा गांव जब तक सूरज चांद रहेगा शहीद सतीश तेरा नाम रहेगा, शहीद सतीश अमर रहें अमर रहें… नारों से गूंज उठा।

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इस दौरान अपने जवान को सैन्य सम्मान देने आई टुकड़ी के मेजर अभिषेक चड्‌ढा की भी आंखें भर आईं। शहीद के पिता रिटायर्ड इंस्पेक्टर (बीएसएफ) आजाद सिंह ने उनके आंसू पोछे, पीठ थपथपाई। बोले आंसू नहीं बहाते। मुझे फख्र है कि मेरे बेटे ने पीठ पर गोली नहीं खाई। आप भी देश की रक्षा के लिए लड़ते रहना। शहीद के सम्मान में सेना का प्रतिनिधित्व कर रहे मेजर चड्‌ढा हिसार यूनिट से आए थे।

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21 राष्ट्रीय रायफल्स के कर्नल कुलदीप सिंह मट्‌टू और सूबेदार लालचंद भी अपनी टुकड़ी के साथ मौजूद रहे। शहीद के पिता को तिरंगे के साथ सतीश की वर्दी, बेल्ट और कैप सौंपी गई। सूबेदार लालचंद ने सतीश की बहादुरी के किस्से सुनाए तो वहां सबकी आंखें छलक आईं। वहीं बेटे को खोने का दर्द अंदर ही दबाए आजाद सिंह का सीना गर्व से तना हुआ था। वो सबको ढांढस बंधा रहे थे। उधर, गांव में शहीद का स्मारक बनाने के लिए भिवानी, महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह ने 10 लाख रुपए देने की घोषणा भी की।

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