दादरी का दंश…

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धर्म के नाम पर क्यों करते हो आपस में लड़ाई.
जरा एक नज़र तो देख लो इस तस्वीर की परछाई.

जी हां गंगाजमुनी तहज़ीब हमारे देश की पहचान रही है, हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने का ढिंढोरा पीटते हैं, लेकिन चंद लोग अपनी रोटी सेंकने के लिए जिस तरह से देश की फिज़ा को बिगाड़ रहे हैं उन्हे इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। एक समय ऐसा भी था जब दुनिया के लोग हमारे सामाजिक संरचना का दीदार करने और भाईचारे का मूल मंत्र समझने हमारे देश में आते थे। लेकिन चंद घटनाओं ने देश के सीने पर जो बदनुमा दाग लगाया है उस कलंक की कालिख समय के साथ भले धूमिल पड़ जाए पर इतिहास के पन्नों पर वो जिस तरह से चस्पा हुई हैं वो अब शायद कभी नहीं मिट पाएगा। जहां दादरी की एक घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है,वहीं देश की राजनैतिक पार्टियां अपना वोट बैंक बनाने के लिये हर संप्रदाय के लोगों को अपनी ओर खींच रही है।

dadri1Image Source: http://4.bp.blogspot.com/

इसके लिये वह समाज का संप्रदायिक माहौल खराब करने में भी पीछे नही हट रही है।वहीं घटनास्थल के कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो विवाद गांव में रहने वाले राहुल की गाय की हत्या से शुरू हुआ था। जो बताते है कि राहुल की गाय का बछड़ा अकलाख और उसके पुत्रों ने चुरा लिया और उसकी हत्या कर दी। जिसके बाद कुछ लोगों ने गाय का शव अखलाक के घर के पास देखा और राहुल को बताया इस विषय पर जब राहुल ने अखलाक से पूछा तब अकलाख भड़क गया और बात कहासुनी से हथापाई पर पहुंच गई। इसी दौरान अकलाख का पुत्र ने राहुल पर गोली चला दी। जब यह बात राहुल के परिचितों का पता चली तो वह लोग गांव के अन्य लोगों के साथ मिलकर अखलाक के घर पहुचं गये और हथापाई के दौरान अकलाख की मृत्यु हो गई। वहीं गांव के कुछ लोगों का कहना है कि अकलाख के घर के पास जो पशु का शव प्राप्त हुआ था वो किसी गाय का नही था। प्रदेश सरकार की फारेंसिक रिपोर्ट भी इस विषय पर अभी कोई निर्णय नही दे पाई है।जबकि राजनैतिक पार्टी के लोग अपनी मनगंढ़त बातों से लोगों को गुमराह कर रहे है।

dadri3Image Source: http://www.sevenpillarshouse.org/

वही अब हम ये सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि क्या 21वीं सदी में जब दुनिया चांद से लेकर मंगल ग्रह तक जीवन की तलाश में लगी है, पड़ोसी मुल्क चीन विकास की सरपट दौड़ लगा कर दुनिया को पीछे छोड़ने की तैयारी में है ऐसे में हम आज भी एक दूसरे का लहू बहाने को बेताब हैं। आखिर हम अपनी आने वाली पीढ़ी को उपहार में ये क्या दे रहे हैं ? हम कब समझेंगे कि तरक्की का रास्ता अमन के दरवाजे से हो कर गुज़रता है रक्तपात से सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं होता है। आपसी झगड़े से जिस घर का चिराग बुझता है पीड़ित परिवार का भरोसा जो एक बार टूटता है तो फिर लाख कोशिशों के बाद भी उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है। हर देश वासी के ज़हन में बस एक ही सवाल उठता है कि आखिर ये खूनखराबा कब रुकेगा ? दादरी का सच चाहे जो भी पर इतना तो ज़रूर है कि वहां इंसान मरा है और उससे भी बढ़ कर समाज और देश का जो नुकसान हुआ है वो है दादरी के साथ पूरे देश में इंसानियत मरी है।

dadri2Image Source: http://files.prokerala.com/

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