नवदुर्गा के प्रत्येक रूप से एक औषधि जुड़ी है और इसी बारे में हम आपको लगातार बताते आये हैं। इस बार हम आपको बता रहें हैं नवदुर्गा के 8वें रूप से सम्बंधित औषधि तथा उसके गुणों के बारे में। आइये आपको बताते हैं इस बारे में विस्तार से। सबसे पहले हम आपको बता दें कि नवदुर्गा का 8वां रूप “देवी महागौरी” का है। देवी महागौरी से सम्बंधित जो औषधि है वह “तुलसी” कहलाती है। तुलसी को सामान्यतः हिंदू धर्म के लोग अपने घर में लगाते ही हैं पर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं की तुलसी 7 प्रकार की होती है, जिनमें काली तथा सफ़ेद तुलसी बहुतायात में देखने को मिलती हैं। ये सभी 7 प्रकार की तुलसी औषधि ही होती हैं और ये सभी हमारे रक्त तथा ह्रदय रोगों का शमन करती हैं। इस प्रकार से रक्त तथा ह्रदय रोगों वाले लोगों को देवी महागौरी की उपासना करनी चाहिए तथा तुलसी का सेवन औषधि के रूप में करना चाहिए।
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देवी महागौरी का रंग श्वेत है और इनके आभूषण तथा वस्त्र भी श्वेत ही हैं इसीलिए इनको “महागौरी” कहा जाता है। देवी महागौरी की उपासना करने वाले भक्त के सभी बुरे कर्म कट जाते हैं तथा पूर्व संचित कर्म भी शेष नहीं बचते हैं। इस प्रकार से महागौरी का उपासक मुक्ति को सहज ही पा लेता है। देवी महागौरी की 4 भुजा है तथा इनका वाहन वृषभ है इसीलिए इनको ” वृषभरूढा” भी कहा जाता है। इस मंत्र से भक्त लोग देवी महागौरी की उपासना करते हैं।
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।
देवी महागौरी की उपासना से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है तथा साथ ही बहुत सी अलौकिक शक्तियां भी प्राप्त होती हैं। इस प्रकार नवदुर्गा के 8वें रूप देवी महागौरी की उपासना करने वाले साधक का स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है तथा वह मुक्ति का अधिकारी भी बन जाता है।