97 वर्ष में कॉलेज का छात्र है यह भारतीय, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ नाम दर्ज

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पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती और इस बात को सिद्ध किया है 97 वर्ष के एक भारतीय ने, जो कि अब MA कर रहें हैं। आज हम आपको इस 97 वर्ष के कॉलेज स्टूडेंट से ही मिलवा रहें हैं, जो कि वर्तमान में MA की पढ़ाई कर लोगों को पढाई के संबंध में एक अलग ही संदेश दे रहें हैं। आपको हम बता दें कि अपने देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कि वर्तमान में काफी उम्र के हो गए हैं, पर उनको पढ़ना लिखना नहीं आता है और वर्तमान में अधिक उम्र का हवाला देकर पढ़ाई करने से मना कर देते हैं। ऐसे में 97 वर्ष की उम्र में MA करने वाला यह व्यक्ति आज सभी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया है। आइए अब आपको हम बताते हैं इनके 97 वर्ष की उम्र में MA करने के पीछे के उद्देश्य को।

97 years old raj kumar vaishya from bihar enrolls for a PG degree 1image source:

97 वर्ष की उम्र में MA करने वाले इस व्यक्ति का नाम “राज कुमार वैश्य” है। वर्तमान में राज कुमार की उम्र 97 वर्ष है तथा ये एक सरकारी रिटायर्ड ऑफिसर हैं। आपको हम यह भी बता दें कि 2015 में राजकुमार ने नालंदा यूनिवर्सिटी के ओपन कॉलेज में MA इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया था, जिसकी पढ़ाई अब पूरी हो जाएगी। 97 वर्ष की उम्र में अपनी पढ़ाई को दोबारा शुरू करने वाले राज कुमार एकमात्र व्यक्ति हैं, इसलिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में इनका नाम दर्ज किया गया है।

97 years old raj kumar vaishya from bihar enrolls for a PG degreeimage source:

आपको हम बता दें राज कुमार ने अपने कॉलेज के दिनों में आगरा यूनिवर्सिटी से स्नातक तथा कानून की पढ़ाई की थी, पर अब 97 वर्ष की उम्र में उन्होंने दोबारा से अपनी पढ़ाई शुरू की है, इसके पीछे राज कुमार के 2 उद्देश्य हैं। पहला उद्देश्य यह है कि राज कुमार अपने कॉलेज के दिनों में सिर्फ स्नातक तक ही पढ़ पाएं थे, जबकि उनकी इच्छा मास्टर डिग्री करने की थी।

यह इच्छा राज कुमार के ऊपर घर की जिम्मेदारी आने के बाद दब गई थी और वह पूरी नहीं हो सकी, इसलिए अब MA कर राज कुमार अपनी इस अच्छा को पूरा कर रहें हैं। राजकुमार का दूसरा उद्देश्य यह जानने का है कि अपना देश इतना बड़ा और सामर्थ्यवान होने के बाद भी आखिर गरीब क्यों है, इसलिए वे MA इकोनॉमिक्स कर रहें हैं। राज कुमार अब कहते हैं कि मेरी दोनों ही इच्छाएं पूरी होने जा रही हैं, इसलिए मैं खुश हूं।

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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