3 धार्मिक स्थान,जहां पुरुषों का प्रवेश है वर्जित

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देखा जाए तो इस समय धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के प्रवेश को लेकर काफी चर्चा चल रही है। जिसे लेकर कुछ महिला संगठन भी अपनी आवाज बुलंद किये हुए हैं। वर्तमान में “भूमाता ब्रिगेड” नाम का एक महिला संगठन “शनि शिंगणापुर” मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर “दरगाह हाजी अली” पर भी महिलाओं के प्रवेश के लिए कुछ मुस्लिम महिला संगठनों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इस प्रकार से मोटे तौर पर देखा जाए तो महिलायें कुछ धार्मिक स्थलों पर प्रवेश की अनुमति चाहती हैं, पर क्या आप ऐसे धार्मिक स्थानों के बारे में जानते हैं जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। जी हां, आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे 3 धार्मिक स्थानों के बारे में जहां पुरुषों का जाना वर्जित माना गया है।

1- सावित्री मंदिर (पुष्कर) –

gayatri-templeImage Source: https://anuradhadasi.files.wordpress.com/

राजस्थान राज्य का पुष्कर नामक स्थान एक हिंदू तीर्थ के रूप में जाना जाता है। यहां के रत्नगिरी पर्वत पर ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री का मंदिर स्थित है, जिसको सावित्री मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में स्त्रियों को ही प्रवेश का अधिकार है यानि मंदिर में पुरुष नहीं जा सकते हैं। मंदिर में जो भी पूजा आदि होती है वो महिलाओं के द्वारा ही की जाती है।

2- कामाख्या मंदिर (विशाखापत्तनम)-

Kamakhya-Temple-in-Guwahati-Assam2Image Source: http://www.honeymoonpackagesdeals.com/

सावित्री देवी के मंदिर के अलावा आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम में भी एक ऐसा ही मंदिर स्थित है जहां पर पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। इस मंदिर का नाम है “कामाख्या मंदिर”। यह मंदिर भारत में तंत्र साधना के लिए काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर पुजारी भी एक स्त्री ही है। इस मंदिर में विशेष अधिकार सिर्फ स्त्रियों को ही हैं।

3- चंदौली जिले के शहर सकलडीहा का मंदिर –

3Image Source: http://static.panoramio.com/

बनारस की सीमा से लगे चंदौली जिले के सकलडीहा नामक स्थान पर भी ऐसा एक मंदिर है जहां पर पुरुषों का प्रवेश निषेध है। इस मंदिर को “सकलडीहा का मंदिर” कहा जाता है। इस मंदिर में भी स्त्रियां ही पूजापाठ करती हैं। इस मंदिर की मान्यता के अनुसार यदि कोई पुरुष यहां पर जबरन प्रवेश करता है तो उसकी किस्मत का पासा ही पलट जाता है। उसके साथ सब उल्टा-सीधा होने लगता है। इसलिए यदि कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ आता है तो वह मंदिर के अंदर नहीं जाता है बल्कि बाहर ही खड़ा रहता है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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