वट पूर्णिमा का उत्सव हर वर्ष भारत के अलग अलग राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत करती हैं और अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती हैं। मगर इस बार महाराष्ट्र में महिलाओं की जगह पतियों के समूह ने इस व्रत को रखा। बस फर्क इतना था कि इन सब ने पत्नियों की लंबी आयु के लिए नही बल्कि अपनी अपनी पत्नियों से छुटकारा पाने के लिए ये व्रत रखा है। इस दौरान सभी पतियों ने पीपल के पेड़ के चारो ओर उल्टी परिक्रमा में धागा बांध कर अपना व्रत पूरा करा।
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आपको बता दें कि वट सावित्री का व्रत हिंदू संस्कृति का एक हिस्सा है। इसमे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के व्रत करती है। इसके बाद मंदिर जाकर पुजा करने के बाद बरगद के पेड़ के चारो ओर धागा बांदकर अगले सात जन्मों के लिए भी इसी पति के साथ की मनोकामना करती हैं। पूजा के बाद प्रत्येक महिला सावित्री माता और सत्यवान की कथा को पड़ती हैं। यह कथा सावित्री माता और उनके पति की है जब पति के मरने के बाद सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापिस ले आई थी।
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इस मामले के बारे में बताएं तो खास तरह की पूजा महाराष्ट्र के वालुज इलाके में की गई है। यहां पुरुषों के एक संगठन अपनी पत्नी से छुटकारा पाने के लिए पूजा की। जब इन लोगों से इसका कारण पूछा गया तो इन्होंने बताया कि वह अपनी अपनी पत्नियों से बहुत दुखी आ गए हैं। उनकी पत्नियों ने कानूनी प्रावधानों का गलत इस्तेमाल कर उन्हें बहुत प्रताड़ित करवाया है। अब हाल ये है कि वह लोग सात जन्म तो दूर 7 सेकेंड भी अपनी पत्नियों के साथ नही रहना चाहते हैं।