तिब्बत को हथियाने के लिए चीन लंबे अर्से से अपनी कारगुज़ारी में लगा था, लेकिन तिब्बत में इसका विरोध होता रहा। बात जब हद से गुज़र गई तो 10 मार्च 1959 को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीन की नीतियों के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ। वैसे तो चीन की बदनीयती का आभास एक दशक पहले ही हो गया था जब अक्टूबर 1950 में चीन ने तिब्बत को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया था। हालांकि इसकी शुरूआत तिब्बती सरकार की कमज़ोरी से हुई थी। यहां की सरकार चीन के आगे कमज़ोर तरीके से पेश आई, नतीजन एक संधि हुई जिसमें कहा गया कि तिब्बत के भीतरी मसले देश के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के अधीन रहेंगे।
बावज़ूद इसके इलाके में चीनी सेना की दखलंदाज़ी बढ़ती गई। जिससे तिब्बतियों में नाराज़गी बढ़ गई। खबर आई कि चीनी सेना दलाई लामा को बीजिंग ले जाना चाहती है। जिसका नतीजा ये हुआ कि 10 मार्च को 30,000 लोग मानव ढाल बन कर चीनी सेना का विरोध करने लगे। 17 मार्च को चीनी सेना ने महल के बाहर तोपखाना और मशीनगन तैनात कर दी। चीनी सेना ने दमनकारी नीति अपनाकर हजारों महिलाओं और पुरुषों पर बल प्रयोग शुरू कर दिया। दलाई लामा के अंगरक्षकों को मौत के घाट उतार दिया गया। हालांकि अनहोनी के अंदेशे को देखते हुए दलाई लामा पहले ही वहां से सुरक्षित बाहर निकल गए थे। इसके अलावा आज के दिन हुई प्रमुख घटनाओं पर डालते हैं एक नजर…
10 मार्च 1945- अमेरिकी सेना ने जापान में बमबारी की, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए।
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10 मार्च 1959- तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीन की नीतियों के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ।
10 मार्च 1969- मार्टिन लूथर किंग के हत्यारे जेम्स अर्ल-रे को 99 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।
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10 मार्च 1973- अटलांटिक महासागर के इलाके में स्थित बरमूडा में आज के ही दिन ब्रितानी गवर्नर और उनके सहयोगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।