इस गांव का है अपना संविधान, न्यायपालिका व संसद भवन

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सभी को अच्छे से पता है कि हमारे देश का संविधान देश के आजाद होने के बाद 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। जिसका पूरा देश पालन करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा गांव है जो देश के संविधान को नहीं मानता। उसके लिए भारतीय कानून की कोई अहमियत नहीं है बल्कि वह अपना ही संविधान बनाकर चलाता है। यकीन नहीं आ रहा ना। हमें पता है कि आप इस गांव को जम्मू कश्मीर के किसी गांव से जोड़कर देख रहे होंगे, लेकिन जान लें कि ये जम्मू कश्मीर का कोई गांव नहीं बल्कि हिमाचल के कुल्लू का एक गांव मलाणा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव का अपना संविधान ही नहीं, बल्कि अपनी एक न्यायपालिका और संसद भवन भी है।

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बता दें कि इस गांव के ग्रामीण अपने आप को सिकंदर के सिपाहियों का वंशज मानते हैं। सबूत के तौर पर यहां जिस जमलू देवता का मंदिर है उसके बाहर लकड़ी की दीवारों पर बनाई गई नक्काशी को दिखा देते हैं। इस नक्काशी में सैनिकों को युद्ध करते हुए देखा जा सकता है। वहीं यहां के आम लोगों की बोलचाल की भाषा भी भारतीय भाषाओं से काफी अलग है। उनकी भाषा और शक्ल सूरत तक ग्रीक के लोगों और उनकी भाषा से काफी मिलती जुलती है। यह देश का ऐसा इकलौता गांव है जहां मुगल सम्राट अकबर की पूजा होती है। वहीं ये सबसे ज्यादा चरस की फसल के लिए भी मशहूर है। यहां के स्थानीय लोग इस चरस को ब्लैक गोल्ड यानी काला सोना मानते हैं। आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि यहां पर चरस के सिवाय और किसी तरह की कोई फसल होती नहीं है।

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जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं कि इस गांव की अपनी न्यायपालिका और संसद है। ये हमारे देश का हिस्सा होने के बाद भी काफी अलग है। इसकी संसद के 2 सदन हैं, जिसके ऊपरी सदन में 11 मेंबर हैं। जिसमें 3 मेंबर कारदार, पुजारी और गुर स्थायी होते हैं। उनमें से बाकी 8 मेंबरों को ग्रामीण मतदान करके चुनते हैं। वहीं निचली सदन में हर घर से किसी एक बड़े-बुजुर्ग सदस्य को प्रतिनिधित्व दे दिया जाता है। इनकी संसद किसी भवन में नहीं होती है बल्कि एक ऐतिहासिक चौपाल होती है। जिसमें दिल्ली की संसद भवन जैसा ही कार्य होता है। वहीं अगर कभी ये संसद किसी मामले को सुलझा नहीं पाती है तो यह मामले यहां के स्थानीय देवता जमलू के हवाले छोड़ दिए जाते हैं।

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अब इस गांव की सबसे बड़ी अजीबोगरीब खासियत से रूबरू करवाते हुए बताते हैं कि इस गांव में किसी बाहरी व्यक्ति के कुछ छूने पर जुर्माने के रूप में एक हजार से लेकर 2500 तक की रकम वसूली जाती है। इस विचित्र परंपराओं से भरे इस गांव के बारे में जानने के लिए हर साल हजारों की संख्या में लोग यहां आते हैं। जिनसे किसी चीज के छू जाने पर यहां के लोग जुर्माने के रूप में जबरन वसूली करते हैं। जिसके लिए उन्होंने नोटिस बोर्ड भी लगा रखे हैं।

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