जन्म से मौत तक पीछा करती है ये चीज, बना सकती है पलभर में करोड़पति   

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मौत

कुछ चीजें जन्म लेने से लेकर मौत तक हमारा पीछा नहीं छोड़ती। ये चीजें कुछ ऐसी हैं कि आपको अमीर तथा गरीब बना सकती हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक चीज के बारे में जानकारी दे रहें हैं। आपने धनुष या तीर का नाम तो सुना ही होगा। सामान्यतः इसका इस्तेमाल तीर साधने और उसे चलाने में किया जाता है। लेकिन क्या आप विश्वास करेंगे की तीर से लाटरी भी खेली जा सकती है। शायद नहीं तो आइये आपको बताते हैं अपने देश के राज्य मेघालय के बारे में।

मौतImage source:

मेघालय शब्द का हिंदी अर्थ होता है “बादलों का घर”, यहां की राजधानी शिलांग है। आप जब शिलांग के पुलिस बाजार से गुजरते हैं तो आपको यहां कुछ अजीबोगरीब चीज बिकती दिखाई पड़ती है। यह लॉटरी के टिकट जैसी होती है। यहां की छोटी छोटी दुकानों पर लटके बोर्ड में कुछ नंबर दर्ज होते हैं। लोग इन दुकानों से लाटरी के टिकट खरीदते हैं तथा बाहर लटके बोर्ड पर लिखे नंबरों से उनका मिलान करते हैं। इसके बाद यदि कोई व्यक्ति अपने अपने नंबर पर दाव लगाता है तो फिर शुरू होता है तीरंदाजी का खेल।

लॉटरी के नंबर पर निशाने से मिलता है पैसा –

लॉटरी के नंबर पर निशाने से मिलता है पैसाImage source:

इस खेल में आपको 1 से 99 तक के किसी नंबर पर अपना दाव लगाना होता है। इसके बाद तीरअंदाजी होती है और फिर तीर से आपके दाव पर लगे नंबर पर निशाने लगते हैं। इस दौरान जितने तीर आपके लगाए दाव की संख्या पर लगते हैं उन्हें आपके लगाए दाव यानि पैसे से मैच किया जाता है। अगर आपके दाव की संख्या मैच होती है तो आप मालामाल हो जाते हैं और यदि ऐसा नहीं होता तो आपको अगली बारी का इंतजार करना पड़ता है। यह खेल शिलांग के बहुत से लोगों का मुख्य व्यवसाय है जिसके चलते वह बचपन से लेकर बुढ़े होने तक इसे खेलते हैं। यह खेल किसी को भी मालामाल कर सकता है या फिर किसी को भी कंगाल बन सकता है।

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यह तीरंदाजी का खेल शिलांग के पोलो मैदान में होता है। जिसका वर्तमान नाम “खासी हिल्स आर्चरी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट” हो चुका है। मेघालय में आज भी जब कोई बच्चा पैदा होता है। तब उसके पास में तीन तीर रखे जाते हैं। एक तीर जमीन की तथा दुसरा तीर खानदान की तथा तीसरा तीर उसकी खुद की निशानी माना जाता है। इन तीनों तीरों को बच्चे की मौत तक बड़ा सहेज कर रखा जाता है। मौत पर उसका धनुष भी उसके साथ रख दिया जाता है तथा तीनों तीरों को आकाश में छोड़ दिया जाता है। जो इस बात का प्रतीक होते हैं की ये तीर उसके साथ जन्नत तक जायेंगे। इस प्रकार से तीन तीर की निशानियां मेघालय के प्रत्येक व्यक्ति के जन्म के साथ जुड़े होते हैं तथा मौत तक उसके साथ ही होते हैं।

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