अपने प्यार को पाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते। आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहें हैं जो अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए साईकिल से स्वीडन पहुंच गया था। 22 दिन की अपनी यात्रा में यह शख्स रोज 70 किमी साईकिल पर सफर तय करता था। इस प्रकार इसने 4 हजार किमी की यात्रा तय की और जब यह शख्स अपनी प्रेमिका से मिला तो वह ख़ुशी से रो पड़ी। आइये जानते हैं इस शख्स के बारे में हमारी इस पोस्ट में।
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यह घटना हैं दिल्ली के कनॉट प्लेस की। उस समय प्रद्दुमन कुमार (पीके) महानंदिया की मुलाक़ात स्वीडन की निवासी चार्लट वॉन स्केदविद से हुई थी। यह समय 1975 का था। प्रद्दुमन कुमार उस समय पोट्रेट बनाने का कार्य करता था और चार्लट भी उनके पास पोट्रेट बनवाने के लिए आई थी।
प्रद्दुमन ने चार्लट से महज 10 मिनट में ही उनका पोट्रेट बनाने का दावा किया था। उन्होंने एक तस्वीर बनाई भी पर वह चार्लट को पसंद नहीं आई। इसके बाद चार्लट अगले दिन उनके पास फिर से आई और फिर से एक तस्वीर बनवाई पर बात इस बार भी नहीं बनी। आखिर में प्रद्दुमन ने एक और तस्वीर बनाई जो चार्लट को पसंद आ गई थी।
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प्रद्दुमन कुमार का जन्म वास्तव में उड़ीसा में हुआ था। प्रदुदमन बताते हैं कि उनकी मां उनसे कहा करती थी की उनकी शादी किसी विदेशी लड़की से होगी और वह लड़की संगीत को पसंद करती होगी, साथ ही उस लड़की के पास एक जंगल भी होगा। प्रद्दुमन कुमार को जब मां की कहीं यह बाते याद आई तो उन्होंने चार्लट से यह सब पूछा, तो चार्लट ने बताया कि उनको संगीत पसंद हैं और उनके पास जंगल भी हैं। इसके बाद प्रद्दुमन समझ गए की वह उनके लिए ही बनी हैं।
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चार्लट जब भारत से चली गई तो दोनों में खत के जरिये बाते जारी रहीं। इस समय तक दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। चार्लट ने प्रद्दुमन कुमार को अपने देश में आने के लिए कहा। मगर प्रद्दुमन के पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने अपना सब कुछ बेच कर एक साईकिल खरीदी और निकल पड़े अपने प्यार से मिलने के लिए स्वीडन। 22 जनवरी 1977 को प्रद्दुमन कुमार की यात्रा शुरु हुई जोकि 22 दिन तक लगातार चली।
इसके बाद जब वह चार्लट के घर स्वीडन पहुंचे तो वह प्रद्दुमन को देख कर ख़ुशी से रो पड़ी। इन दोनों की शादी के लिए शुरू में चार्लट के माता पिता तैयार नहीं थे पर समझाने के बाद वे शादी के लिए तैयार हो गए। इस प्रकार दोनों की शादी हो गई। वर्तमान में प्रद्दुमन कुमार और चार्लट के 2 बच्चे हैं और ये दोनों स्वीडन में ही रहते हैं। प्रद्दुमन अभी भी पोट्रेट बनाने का कार्य करते हैं। आपको बता दें कि 1975 के दौर में कुछ देशों में विज़ा की जरुरत नहीं थी।