वैसे तो लोग मंदिरों में इसलिए जाते हैं ताकि उनके जीवन में किसी प्रकार की समस्याएं न आए, पर एक मंदिर ऐसा भी है जहां पर जाने वाले लोगों को श्राप मिलता है। जी हां, आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहें हैं, वहां पर पूजन करने वाले व्यक्ति को श्राप का सामना करना पड़ता है। ये इस मंदिर की प्राचीन मान्यता है। इसके अलावा इस मंदिर का निर्माण एक बड़ी चट्टान को काट कर मात्र एक ही रात में किया गया था। यह बात भी लोगों को चौंकाती है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस मंदिर के बारे में।
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इस मंदिर का नाम “हथिया देवाल मंदिर” है। यह उत्तराखंड प्रदेश के पिथौरागढ़ क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बल्तिर गांव में स्थित है। इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक प्राचीन तथा रोचक कथा है। असल में जिस स्थान पर यह मंदिर है, उस स्थान पर पूर्वकाल में “महाराज कत्यूरी” का शासन था। महाराज कत्यूरी अपने राज्य में स्थापत्य कला की बेजोड़ इमारतें अक्सर बनवाते रहते थे। यह हथिया देवाल मंदिर भी उनके ही समय में निर्मित हुआ था। इस मंदिर को जिस कारीगर ने निर्मित किया है, असल में उसका एक ही हाथ था क्योंकि किसी दुर्घटना में उसका दूसरा हाथ कट गया था। जब कारीगर मंदिर निर्माण के लिए चट्टान काट रहा था, तब कुछ लोग उसको एक हाथ से कार्य करते देख उसका मजाक बनाने लगे। तब कारीगर ने प्रण लिया कि वह इस मंदिर का निर्माण अपने एक ही हाथ से करेगा, फिर उस कारीगर ने महज एक ही रात में चट्टान को काट कर मंदिर का निर्माण कर दिया। इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि इसमें शिवलिंग तो है, पर वह प्राण प्रतिष्ठित नहीं है इसलिए इस हथिया देवाल मंदिर में शिवलिंग पूजन प्राचीन काल से नहीं होता है और आज भी यही परंपरा बरकरार है। इस मंदिर में शिवलिंग के प्राण प्रतिष्ठित न होने के कारण ही शायद यह मान्यता पुरातन काल से हैं कि यहां पर पूजन करने वाले व्यक्ति को श्राप मिलता है और शायद इसलिए ही आज भी इस मंदिर में पूजन का कार्य बंद है।