सिर्फ श्रृंगार ही नहीं, चूड़ी पहनने के और भी हैं कई कारण

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चूड़ियां पहनना स्त्रियों का पसंदीदा श्रृंगार है और हिन्दू मान्यता में इसे सुहाग की निशानी से जोड़ कर देखा जाता है। इसके अलावा भी ऐसे कई कारण हैं जिस वजह से पुराने समय से ही महिलाओं के चूड़ी पहनने पर जोर दिया जाता रहा है। हममें से ज्यादातर लोग चूड़ियों को सिर्फ श्रृंगार का ही प्रतीक मानते हैं, लेकिन जानें उन वजहों के बारे में जो चूड़ियों को और भी विशेष बनाती हैं।

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1.चूड़ियों की खनकार से एक प्रकार की सकारात्मक ध्वनि उत्पन्न होती है। जिससे वातावरण में सकारात्मकता सी प्रतीत होती है। जिस प्रकार मंदिर की घंटी से वातावरण में पवित्रता फ़ैल जाती है, ठीक उसी प्रकार का काम चूड़ियां भी करती हैं।

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2. पुराने समय में ऐसा माना जाता था कि जिस घर से महिलाओं की चूड़ियों की आवाज़ आती है, मतलब उस घर में सुख शांति बनी हुई है। समझा जाता था कि ऐसे घरों में देवी-देवताओं का वास है।

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3.पहले के समय में अधिकतर स्त्रियां सोने और चांदी की चूड़ियां पहनती थीं। ऐसा माना जाता था कि सोने- चांदी के आभूषण पहनने से शरीर को धातुओं के गुण प्राप्त होते हैं। इसलिए महिलाएं सोने-चांदी की चूड़ियां पहनती थी ताकि उनका शरीर हमेशा इन धातुओं के संपर्क में रहे।

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4.कई वैज्ञानिक शोधों से से ज्ञात हुआ है कि सोने और चांदी से हड्डियां मजबूत बनती हैं। आजकल तो सोने-चांदी मिश्रित च्यवनप्राश भी बाज़ारों में उपलब्ध हैं। शायद इसी वजह से पहले के समय में राजा- महाराजा सोने- चांदी के बर्तनों में खाना खाया करते थे।

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5. इसके अलावा चूड़ियों के विषय में जो धार्मिक मान्यता सबसे खास है वह तो सब ही जानते हैं कि चूड़ियां सुहाग की निशानी हैं। सोलह श्रृंगार में चूड़ियों का स्थान सबसे खास है। जो स्त्री अपने श्रृंगार में चूड़ियों को शामिल करती हैं, उसके पति को लम्बी उम्र प्राप्त होती है।

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