सांप्रदायिक सौहार्द – मुस्लिम समाज ने दी मंदिर और मोदी रैली के लिए जमीन

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देखा जाए अपने देश में सांप्रदायिक सौहार्द के बहुत से ऐसे उद्धरण हैं जिनको स्टडी करने पर कोई भी व्यक्ति भारत पर गर्व ही करेगा, हालांकि आज के समय में जहां हिन्दू और मुस्लिम समाज को लेकर काफी राजनीतिक उठा-पटक चल रही है वहीं कई ऐसे उद्धरण समाज के सामने भी आये हैं जिन्होंने दीन-घर्म पर राजनीति करने वालों को सबक सिखाया है। आज हम आपको एक ऐसे की वाकये के बारे में बता रहें हैं जिसमें एक मुस्लिम परिवार ने अपनी जमीन हिन्दू समाज को मंदिर बनने के लिए दान दे दी। यह घटना है झारखण्ड के चांडिल नामक स्थान की। इस स्थान के मुस्लिम परिवार ने हिन्दू समाज को मंदिर बनाने के लिए जमीन देकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिशाल कायम की।

hindu-muslim1Image Source :http://im0.indiarailinfo.com

चांडिल के रहने वाले मौ. फकरुद्दीन के दादा जी स्व. मौ. कुदरत अली, चांडिल में करीब 100 साल पहले आये थे और कपडे़ का व्यापार करते थे, कुदरत अली स्वभाव से ही समाज सेवी व्यक्ति थे।

इन्होंने ने ही हिन्दू समाज जो “हनुमान मंदिर” बनने के लिए अपनी जमीन दी थी, जिस पर वर्तमान में आज मंदिर बना हुआ है। मौ. फकरुद्दीन का कहना है कि “आपसी भाईचारा बना रहें इसलिए ही उनके दादा जी ने मंदिर के लिए जमीन दे दी थी” । मुस्लिम परिवार द्वारा दी गई इस जमीन पर आज उस क्षेत्र का सबसे बड़ा हनुमान का मंदिर बना हुआ है और वहां रामनवमी पर लगातार 15 सालों से जुलूस निकलता है, जिसमें पूरा मुस्लिम परिवार शामिल होता है।

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एक दूसरी घटना भारत के प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ी है, जैसा की आप जानते ही होंगे की बीजेपी की सरकार केंद्र में अपने 2 साल पूरे कर चुके है तो इस अवसर पर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में मोदी अपनी एक बड़ी रैली करने जा रहें हैं। वर्तमान में दिल्ली-सहारनपुर मार्ग पर 265 बीघा के क्षेत्र में पंडाल और मंच बनाने का कार्य जोरो पर चल रहा है और इसके लिए मौ.रहीस अहमद ने अपनी 8 बीघा जमीन भी इस रैली के लिए दी है, जिसमे वर्तमान समय में उसने गन्ना लगाया हुआ है। मौ.रहीस अहमद ने अपनी फसल को कटवा कर रैली के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया है, इसके लिए बीजेपी के नेताओं ने मौ.रहीस अहमद को उनकी फसल के नुकसान के एवज में मुआवजा देने की बात कही है पर रहीस अहमद ने किसी भी प्रकार का मुआवजा लेने से साफ़ मना कर दिया है। मौ.रहीस अहमद का कहना है की “ये हमारा गांव है और इस रैली में सभी का सहयोग है। हमारे प्रधानमंत्री जी आ रहे हैं। गन्ने की कटाई कर रहा हूं जिससे कुछ तो बचत हो जाएगी। इस रैली में हमारा पूरा सहयोग रहेगा।”

आज के समय में जहां धर्म और दीन के नाम पर देश को तोड़ने की और समाज को दिशाहीन करने की विचारधारा चल रही है, उसे ख़त्म करने के लिए लोगों को स्वयं ही सकारात्मक बन कर समाज के सामने आना होगा, यही सन्देश देती हैं ये दोनों घटनाये।

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