संकट में हैं भगवान, भक्तों सुन लो बजरंगबलि की गुहार

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बजरंगबली जिनको संकटमोचन कहा जाता है। आपको जानकर थोड़ा अटपटा जरूर लगे लेकिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आजकल संकटमोचन पर खुद संकट के बादल छाए हुए हैं। जिसके चलते वह अपने मंदिर को बचाने के लिए सोशल मीडिया के फेसबुक पर भी उतर आए हैं। फेसबुक पर ‘सेव हनुमान टेम्पल’ का एक पेज है। जिस पर वह अपने भक्तजनों से अपने मंदिर को बचाने की गुहार लगा रहे है। अब तक इसे हजारों लोग लाइक भी कर चुके हैं लेकिन ऐसे में ये मंदिर बचेगा या नहीं अभी कहा नहीं जा सकता।

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आपको पूरा माजरा समझाते हुए बता देते हैं कि राजधानी रायपुर का महादेव घाट, वहां पर साल 2010 को एक हनुमान मंदिर का निर्माण कराया गया था। जिसके सामने करीब 19 दुकानें भी हैं लेकिन अब मंदिर के ट्रस्ट पर आरोप लगाया जा रहा है कि इन्होंने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर मंदिर का निर्माण किया है। लेकिन इस मामले के तुल पकड़ने पर ये बात सामने आई की मंदिर का निर्माण करने वाली ट्रस्ट किसी और की नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के ही अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के फैमिली की है। जिसके बाद कांग्रेस और सामाजिक संस्थाओं ने इस मामले पर जमकर हाथ सेकें और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश देते हुए 15 दिनों के अंदर मंदिर को तोड़कर अवैध कब्जा हटाने का फैसला सुनाया है।

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जिसके बाद ही सियासत गरमाई हुई है। क्योंकि भारत जैसे देश में यह आस्था से जुड़ा मामला है। जिसपर कोई ढंग से खुलकर सामने नहीं आ रहा है। क्योंकि हमारे देश में मंदिर और मस्जिद ही बड़े वोट बैंक का निर्धारण करते हैं। इसलिए इस मामले पर कांग्रेस भी चुप्पी साधे बस गौरीशंकर को घेर रही है। वहीं मंदिर के बचाव में हिंदूवादी संगठन साइन यानी की हस्ताक्षर अभियान को चला रहे है। इसी के चलते फेसबुक पर भी मंदिर को बचाने के लिए एक पेज बनाया गया है। जिसमें भक्तों से मंदिर को बचाने की गुहार लगाई जा रही हैं। वहीं सुनने में आ रहा है कि अगर मंदिर पर बुलडोजर चलता है तो हिंदूवादी संगठन वाले उसके नीचे लेटने तक से भी गुरेज नहीं करेंगे। वहीं वह जेल जाने से पीछे हटने वालों में से नहीं है। साथ ही वह किसी भी हालत में मंदिर को बचाने में जुटे हुए हैं। वहीं जान लें की राज्य के गृहमंत्री सहित रायपुर के महापौर तक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करते हुए मंदिर को तोड़े न जाने की हिमायत कर रहे हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि अगर मंदिर नहीं टूटा तो ये कोर्ट के आदेश की अवमानना होगी। वहीं लोग इस मंदिर को टूटने से कैसे बचा पाते हैं।

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