ये बात तो पुराने समय से चली आ रही है कि जब तक महिलाएं ममता की छाव में बंधी होती हैं तब तक ममता प्रतिमूर्ति होती हैं लेकिन जब उनकी अस्मिता पर आँच आती है तो वो दुर्गा का रूप धारण कर उसे जड़ से उखाड़ फेंकने की हिम्मत भी रखती है| ऐसा ही कुछ देखने के मिल रहा है यूपी में, जहां हर एक अपराधियों के लिए ख़ौफ़ बनी जौनपुर की महिला थाना प्रभारी, दरोगा तारावती के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन लोग उनके नाम से ही कापेंगे।
इस महिला पुलिस के दहशत से अपराधी भी डरकर भाग जाते है।
तारावती आज जितनी सशक्त होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं जहां हर कोई उनके नाम की तारीफ कर रहा है लेकिन पहले ऐसा नहीं था। यह महिला पहले घर की चारदिवारी के अंदर रहकरसाधारण महिला की तरह ही घर परिवार में व्यस्त रहती थीं, उनके पति एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस वाले थे। पर फर्ज की खातिर उनके पति रामराज यादव ने सीने पर गोली खाकर भी अंतिम दम तक अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे। उनके शहीद होने के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारी उनकी पत्नी के कंधों पर आगई। विधवा तारावती के मांग के सिंदूर का रंग अभी नहीं उतरा था कि तारावती पर चुनौतियों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन तारावती ने दोनों फर्जों को इतनी खूबसूरती से निभाया की उन पर ना सिर्फ परिवार बल्कि पुलिस महकमे को भी नाज़ है।
16 साल पहले का वो दिन उन्हें जिंदगीभर नहीं भूलेगा जब पहली बार उनके कदम घर की चारदीवारी से बाहर निकले थे। दरअसल 16 सितंबर 2006 को उनके पति रामराज यादव फरुर्खाबाद में सब इंस्पेक्टर की अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद थे तभी उन्हें ख़बर मिली कि कुख्यात कलुआ गिरोह के अपराधी उनके इलाके में घुस आए हैं। जैसे ही रामराज यादव को इसकी भनक लगी वे बिना वक्त गंवाए बदमाशों से मुकाबले के लिए सामने डट गए, उस मुठभेड़ में उन्होंने अपराधियों की गोली अपने सीने पर खाई और रोता बिलखता परिवार पीछे छोड़ गए। अब जब कि शहीद की पत्नी अपने पति की जगह पर अपराध से मुकाबले के लिए मैदान में डटीं हैं तो इलाके की महिलाओं में हौसला बढ़ा है। उनकी हिम्मत और वर्दी के प्रति वफादारी को देखते हुए जौनपुर के पुलिस अधीक्षक राजकरन नय्यर ने बुधवार को महिला थाने की थानाध्यक्ष उप निरीक्षक तारावती यादव को तीन स्टार लगाकर निरीक्षक के दर्जे से सम्मानित किया है।