मनाकुला विनायगर मंदिर है भगवान गणपति का चमत्कारी मंदिर, जानिए इसके बारे में

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भगवान गणपति

 

भगवान गणपति के बहुत से मंदिर देश विदेश में है, पर आपने इस मंदिर के जैसा चमत्कारी वाकिया शायद ही किसी अन्य गणपति मंदिर का सुना हो। आज हम आपको भगवान गणपति के जिस मंदिर के बारे में ही बता रहें वह भारत के पुडुचेरी में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन 1666 में फ्रांसीसियों के आगमन से पहले हुआ था।

चित्रों में दिखाई पड़ती है गणपति की कथा –

भगवान गणपतिImage Source: 

यदि मंदिर के निर्माण के इतिहास की बात की जाए तो यह मंदिर अपने समय के हिसाब से देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में बहुत से कलाकारों ने भगवान गणपति से जुड़ी पौराणिक कथाओं को चित्रों के माध्यम से चित्रित किया हुआ है। इन चित्रों में आप भगवान गणपति के जन्म से लेकर विवाह तक की कथाओं को देख सकते हैं। भगवान गणेश के 16 स्वरूपों के बारे में आपने सुना ही होगा वे सभी स्वरुप आप इस मंदिर के अंदर देख सकते हैं। इस मंदिर को “भुवनेश्वर गणपति” के नाम से भी जाना जाता है क्युंकि इस मंदिर का मुख्य द्वार समुद्र की ओर खुलता है।

समुद्र से वापिस आई प्रतिमा –

भगवान गणपतिImage Source: 

पुडुचेरी स्थित इस मनाकुला विनायगर मंदिर के बारे में वैसे तो अनेक कथाएं हैं, पर ऐसा कहा जाता है कि जब पुडुचेरी में फ़्रांसिसी आ गए थे तो वे लगातार मंदिर की पूजा में व्यवधान डालते थे। यह भी कहा जाता है कि उन लोगों ने मंदिर की मुख्य प्रतिमा को कई बार समुद्र में डुबो दिया था, पर प्रतिमा चमत्कारी रूप से अपने ही स्थान पर आ जाती थी। फ़्रांसिसियों ने कई बार मंदिर को बंद कराने की कोशिस भी की, पर वह असफल रहे और आज यह मंदिर अपनी पूरी शान के साथ सभी के लिए हमेशा की तरह खुला हुआ है।

बड़ी मात्रा में है सोना –

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यह मंदिर लगभग 8,000 वर्ग फुट क्षेत्र में है। इस मनाकुला विनायगर मंदिर में सोना बड़ी मात्रा में है। मंदिर की साज सज्जावट में भी सोने का उपयोग किया गया है। इस मंदिर में भगवान गणपति के लिए 10 फिट ऊंचा रथ भी बनाया गया जिसमें करीब 8 किलों सोने का उपयोग हुआ है। प्रतिवर्ष विजय दशमी के दिन भगवान गणेश की झांकी इस स्वर्णजड़ित रथ पर ही निकाली जाती है तथा हर साल अगस्त-सितंबर माह में यहां ब्रह्मोत्सव का आयोजन भी होता है जो कि 24 दिन तक चलता है।

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