नवरात्रों में पूजा का महत्व

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* नवरात्रि का अर्थ:

Navratri pujaImage Source: http://indianfest2015.in/

नवरात्रि, जिसका अर्थ ही होता है नौ रातें। यह एक ऐसा पर्व होता है जिसका इंतजार लोग साल के गुजरने से पहले से ही करने लगते है। जिसकी प्रतिक्षा हर व्यक्ति को साल भर रहती है। यह हमारी श्रद्धा तपस्या और अध्यात्म की गंगा में बहने वाला पर्व होता है। जिसकी उपासना करने से मां भगवती सारे दुखों को हर लेती है। नवरात्रि के दौरान की गई फल प्राप्ति की तपस्या, उनके प्रति हमारा समर्पण हमारे मन की शुद्धता आपको वर्ष भर शक्ति और सफलता के पथ पर आगे बढ़ाता रहता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह त्यौहार वर्ष में दो बार आता है। एक शरद माह पर तो दूसरा बसंत माह की नवरात्रि दोनों को ही सभी लोग धूमधाम से मनाते हैं।

* देवी के रूप:

Navratri puja1Image Source: http://indianfest2015.in/

नवरात्रि के पर्व पर देवियों की पूजा होती है। इस समय देवियों का आगमन होता है। जिसमें पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रूप शैलपुत्री, श्रीब्रहमचारिणि, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी आदि देवियों का पूजन बड़ी श्रृद्धा-भक्ति और विधि-विधान के अनुसार किया जाता है। कहा जाता है कि कुछ पूजा को दिन की बजाय रात्रि को ज्यादा ही महत्व दिया गया है। क्योंकि यह समय ही शक्ति के संचय का सही समय माना गया है। दिन के समय की गई पूजा या मंत्र जाप में दिन के समय निकलने वाली ध्वनि मार्ग में बाधा डालती है। रात्रि के समय हमारे द्वारा किये गये जाप की तरंगें सीधे ईश्वर से जोड़ती है। आपने कभी गौर भी किया होगा, कि रात के समय मंदिर घंटे और शंख की आवाजें दूर-दूर तक वातावरण को शुद्ध कर देती है। इसके अलावा शनि अमावस्या की पूजा और दीपावली की पूजा भी रात में ही की जाती है। जिसका अपना महत्व होता है।

* नवरात्रि का महत्व:

Navratri DecorationImage Source: http://www.thepopularfestivals.com/

नवरात्रि के समय प्रकृति से एक विशेष प्रकार की शक्ति निकलती है। इस शक्ति को ग्रहण करने के लिये शक्ति पूजा रोज अलग-अलग तरह से की जाती है। हर शक्ति का अपना अलग महत्व होता है।
पहले दिन की पूजा का विधान:

नवरात्रि का अपना एक विशेष महत्व होता है। कई लोग इस दिन से नौ दिनों का या दो दिनों का व्रत रखते हैं। जो लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं वो दशमी को पूर्ण करेंगे। जो पहली और अष्टमी को रखते हैं। वो नवमी के दिन अपने व्रत को खोल सकते हैं। घर में कलश की स्थापना करके अखंण्ड ज्योति जलानी चाहिये। प्रात:काल और सांयकाल का समय आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए। पूरे नौ दिन संयम और अपने आचरण और खान-पान में सात्विकता बनाये रखनी चाहिये। घर पूरी तरह से साफ सुथरा रहना चाहिए। घर में कपूर का उपयोग सुबह-शाम करना चाहिए इससे देवी तो प्रसन्न रहती ही हैं साथ ही घर की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती हैं।

* किस प्रकार का फूल चढ़ाएं:

Redflower

मां देवी को गुड़हल का फूल चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है। इसके अलावा बेला, चमेली, कमल और दूसरे लाल पुष्प आप समर्पित कर सकते हैं। फूलों की सुगंध जितनी अच्छी होती है, ईश्वर का वास उसी घर में सबसे ज्यादा होता है। इसलिये घर को सुगंधित करने के लिये अगरबत्ती का उपयोग करें। मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं ।

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