हिंदुस्तान के भाईचारे की मिसाल पूरी दुनिया में मशहूर है, जिसका जीता-जागता उदाहरण हैं हुसैनी दत्त ब्राह्मण। यह एक ऐसा हिंदू समुदाय है जो करबला में मुहर्रम मनाता है, इसके लिए शहादत के उस दिन को याद कर अपनी आंखें नम करता है। तो दूसरी ओर दिवाली के दिये जलाकर चारों ओर भाईचारे की रोशनी की मिसाल देता है।
वैसे तो हुसैनी ब्राह्मणों का इतिहास काफी पुराना है लोग तो ये भी मानते हैं कि इनका संबंध महाभारत काल से भी जुड़ा है, ऐसी मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अमरत्व अगर किसी को मिला थ तो वो अश्वत्थामा थे अश्वत्थामा कौरव और पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य के पुत्र थे, मान्यताओं की माने तो युद्ध के बाद अश्वत्थामा वत्मान इराक जा कर बस गए थे।
अश्वत्थामा के हैं वंशज हैं हुसैनी ब्राह्मण –
ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा के वंशज जो बाद में दत्त ब्राह्मण या मोहियाल ब्राह्मण कहलाए, ये ब्राह्मणों में बेहद बहादुरी के लिए जाने जाते हैं, इन्होंने अपेन पराक्रम के बूते अरब के कई राज्यों को जीत कर उन पर शासन किया, उन्ही में से एक थे राजा राहिब सिद्ध दत्त, जानकारों का ऐसा मानना है कि राजा राहिब सिद्ध दत्त भी उसी काल में थे जब पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन का दौर था और पैगंबर मोहम्मद साहब के बड़े अहसान थे राजा राहिब सिद्ध दत्त पर दरअसल उन्हें कोई संतान ना थी और जब संतान मांगने वो मोहम्मद साहब के सामने पहुंचे तो मोहम्मद साहब ने उनके नसीब में संतान ना होने की बात कही जिससे वो निराश हो गए लेकिन मोहम्मद साहब के छोटे नाती इमाम हुसैन जी ने उनको 7 संतान होने का आशीर्वाद दिया जिससे वो बहुत ही कायल हो गए।
कर्बला में हुसैन के लिए लड़ी लड़ाई –
बात 680 ईस्वीं की है उस दौर में हुसैन और तब मुसलमानों के प्रमुख खलीफ़ा उम्मय्या वंश के यज़ीद के समर्थकों के भीषण युद्ध छिड़ गया, कर्बला में हुए इस युद्ध में हुसैन अपने पिता और इस्लाम के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। यज़ीदी सैनिक जीत के मद में इतराते हुए उनका सिर अपने साथ लेकर दमिश्क की ओर बढ़े तो ये सुन कर राजा राहिब दत्त बहुत दुखी हुए और राजा राहिब सिद्ध दत्त ने यज़ीदियों से इस बात का बदला लेने की ठानी, वो युद्ध कर यज़ीदी सैनिकों से हुसैन का सिर हासिल करने में कामयाब हो गए।
जब राजा राहिब दत्त अपनी सेना के साथ आराम कर रहे थे, तभी यज़ीदी सैनिकों ने उन पर हमला बोल दिया, यज़ीदी सैनिकों ने राजा राहिब दत्त से हुसैन के सर की वापस मांग की, लेकिन राजा राहिब ने हुसैन का सिर लौटाने की बजाए अपने एक बेटे का सिर कलम कर उन्हें थमा दिया।
हुसैन के लिए 7 बेटों की दी कुर्बानी –
यज़ीदी सैनिकों को शक हुआ तो उन्होंने वापस फिर से सिर लौटाने की बात कही. तब एक-एक कर के राजा राहिब दत्त ने अपने सातों बेटों की कुर्बानी दे दी, इसके बाद भी जब यज़ीदी सैनिक नहीं माने तो हुसैन साहिब के लिए राजा राहिब दत्त आताताई यजीदियों से भिड़ गए। और मुख्तार के साथ मिलकर यज़ीदी सैनिकों से हुसैन की मौत का जमकर बदला लिया, इमाम हुसैन की शहादत और अपने सभी सातों बेटों की कुर्बानी में मोहियाल ब्राह्मणों ने कई दोहे तैयार कर पढ़े तभी से मुहर्रम पर इन दोहों को मुस्लिम और मोहियाल ब्राह्मण पढ़ते आ रहे हैं।
फिल्म अभिनेता सुनील दत्त भी इसी समाज से ताल्लुक रखते हैं –
वर्तमान दौर में हुसैनी ब्राह्मण पाकिस्तान, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और अरब कंट्री में हैं, और सदियों बाद आज भी ये हर साल मुहर्रम भी मनाते हैं और हिंदू धर्म के सभी पर्व भी मानते हैं। जिस जगह पर राहिब दत्त ने अपनी सेना के साथ पड़ाव डाला था, उसे वर्तमान में इराक के हिंदिया ज़िले के नाम से जाना जाता है. आपको बतादें कि स्वर्गीय सुनील दत्त का नाता इसी समुदाय से है, एक कार्यक्रम के दौरान सुनील दत्त जी से उनके धर्म के बारे में पूछा गया था, तब उन्होंने इमाम हुसैन द्वारा कुर्बानी से पहले राहिब दत्त को सुल्तान की उपाधी देते हुए जो कहा था वहीं सामने वाले को सुना दिया –
वाह दत्त सुल्तान!
हिंदु का धर्म
मुसलमान का ईमान
आधा हिंदू आधा मुसलमान!