व्यक्ति अगर किसी बात को ठान ले तो फिर उसके लिए मुश्किल से मुश्किल काम भी सरल हो जाता है। दृ़ढ़ इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति की मुराद खुदा को भी पूरी करनी ही पड़ती है। दक्षिण कश्मीर स्थित बिजबेहारा में रहने वाले आमिर हुसैन ने अपनी छोटी सी उम्र में एक हादसे में दोनों हाथ गंवा दिए, लेकिन अपने हाथ खो देने के बावजूद भी उस लड़के ने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। अपने बुलंद हौंसलों के दम पर वह राज्य की क्रिकेट टीम का कप्तान बन ही गया।
कश्मीर के दक्षिणी इलाके में स्थित बिसबेहारा के नजदीक वाघामा गांव में एक लड़का आमिर हुसैन रहता है। आमिर हुसैन का बचपन से सपना था कि वो बड़ा होकर एक क्रिकेटर बनें। यह जगह क्रिकेट के बल्ले बनाने के लिए मशहूर है। एक दिन लकड़ी काटने की मशीन पर काम करते हुए आमिर हुसैन के दोनों हाथ मशीन की चपेट में आ गए। जिसके कारण उनके दोनों हाथों को काटना पड़ा। इस घटना के बाद हुसैन करीब तीन वर्षों तक अस्पताल में ही रहे, लेकिन इसके बाद भी आमिर ने हार नहीं मानी और अपने हौंसलों के दम पर अपने सपने को साकार करने के लिए चल पड़ा। हुसैन ने अपनी जिंदगी के सच को अपनाया और नए तरीकों से अपनी तैयरियों में जुट गया।
हुसैन ने अपना सभी काम करना सीख लिया। साथ ही आमिर हुसैन ने गले और कंधे के बीच में बल्ला पकड़ना सीख लिया। इसके अलावा आमिर ने पैरों के अंगूठों से गेंद को लेग स्पिन कराने की कला भी सीख ली। वह पैरों की मदद से कैच और फिल्डिंग भी कर लेते हैं। अपने इस हुनर के कारण ही हुसैन ने वर्ष 2013 में राज्य के पैरा क्रिकेट टीम में अपनी जगह बना ली और बाद में कप्तान बन गए। फिलहाल आमिर ने वर्ष 2015 में लखनऊ में अतंर राज्यीय पैरा क्रिकेट टूर्नामेंट में टीम की कप्तानी की।
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इस मैच में उन्होंने मणिपुर के खिलाफ अपनी टीम को जिताया। दिल्ली, लखनऊ सहित जम्मू में मैच खेलने के बाद आमिर हुसैन विदेशी जमीं पर जाकर भारत का नाम रोशन करना चाहते हैं, लेकिन अपनी जिंदगी में आमिर ने जिन भी हालातों का सामना कर अपने सपनों को पूरा किया वो काबिले तारीफ है। आमिर इसी जज्बे के लिए पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं।