धर्म के नाम पर अय्याशी और कई अपराधों को करने वाले गुरमीत राम रहीम के बारे में आज पूरा देश जान चुका है। अपनी ही दो साध्वियों के साथ बलात्कार के जुर्म में गुरमीत राम रहीम सिंह को 20 साल की सजा हो चुकी हैं। लेकिन इसके साथ ही गुरमीत राम रहीम के कई और अपराध भी लोगों के सामने आने लगें हैं। डेरा सच्चा सौदा के एक पूर्व प्रमुख ने खुलासा किया है कि बाबा राम रहीम न सिर्फ महिलाओं के साथ अय्याशी करता था, बल्कि डेरे में मरने वालों के लोगों के अंगों की तस्करी भी करता था। धर्म के नाम पर अपराधों की दुनिया बसाने वाला यह व्यक्ति 10वीं तक पास नहीं है, फिर भी यह आपने नाम के आगे डॉक्टर था, आखिर कैसे यह अपराधी बाबा बिना पढ़े डॉक्टर बना, इस बारे में ही हम आज आपको बताने जा रहें हैं।
गुरमीत राम रहीम वर्तमान में काफी चर्चा में हैं। आपको मालूम नहीं होगा पर हम बता दें कि गुरमीत राम रहीम महज 9वीं क्लास तक ही पढ़ा हुआ हैं, पर फिर भी उसके नाम के आगे “डॉक्टर” शब्द लगाया जाता है, तो सवाल यही है कि सिर्फ 9वीं क्लास तक पढ़ें हुए व्यक्ति को P.hd की डिग्री कहां से मिल गई। आखिर गुरमीत राम रहीम ने ऐसा कौन सा कारनामा किया कि उसको P.hd की उपाधि मिल गई तथा उनके नाम के आगे “डॉक्टर” का संबोधन किया जाने लगा। आज हम आपको इस बारे में ही जानकारी देने जा रहें हैं।
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सबसे पहले हम आपको बता दें कि गुरमीत राम रहीम का जन्म राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के श्री गुरूसार मोदिया गांव में हुआ था। बचपन से ही वह अपने पिता के साथ खेती में ही हाथ बटाया करता था। राम रहीम ने सिर्फ 9वीं क्लास तक ही पढ़ाई की थी। इसके बाद राम रहीम ने आध्यात्म में रूचि लेनी शुरू कर दी थी और इसी दौरान वो तत्कालीन गुरु बाबा शाह सतनाम का शिष्य बन गया। 1990 में बाबा शाह सतनाम ने गुरमीत राम रहीम को अपना वारिस बना दिया, तब से ही एक सामान्य सा जीवन जीने वाले गुरमीत राम रहीम को हरियाणा के डेरा सिरसा के गुरु पद पर आसीन कर दिया गया।
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डेरा के गुरु होने के बाद में भी यह अन्य कार्यों में लगा रहता था। आपको बता दें कि गुरमीत राम रहीम के नाम पर एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है और लंदन की वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी ने 2016 में उसको “डॉक्टरेट” की उपाधि, इसी कारण दी थी। आपको बता दें कि यह वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी ऐसे लोगों को डॉक्टरेट की डिग्री देती है जिनके नाम एक से ज्यादा रिकॉर्ड होते हैं, इसलिए ही गुरमीत राम रहीम को भी डॉक्टरेट की डिग्री दी गई थी। यही कारण है कि बाबा राम रहीम के नाम के आगे भी “डॉक्टर” शब्द लगाया जाने लगा।