आज के समय में किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए कई प्रकार की अच्छी विधियां मेडिकल साइंस ने उपलब्ध कराई हैं, पर आज भी गांव-देहात के बहुत से इलाकों में आपको कुछ इस प्रकार के वैद्य जरूर मिल जाएंगे जिनके इलाज करने का तरीका बहुत ही अलग और अवैज्ञानिक होता है। आज हम आपको मरीजों का इलाज करने की एक ऐसी ही अवैज्ञानिक और खतरनाक विधि के बारे में बता रहे हैं जो देश के कई इलाकों में कई नामों से आज भी प्रचलित है, जानिए इसके बारे में।
इलाज के लिए सलाखों से दागा जाता है मरीज को –
यह विधि देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से आज भी चल रही है, जैसे कि राजस्थान में इसे “दागना या डाली देना” कहा जाता है और छत्तीसगढ़ में इसको “आंकना” कहा जाता है। इलाज के इस तरीके में मरीज को गर्म सलाखों से वैद्य उसके मर्ज के अनुसार अलग-अलग जगह पर दागता है। बहुत से लोग इस विधि को पूरी तरह कारगर बताते हैं, पर इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। रोग से पीड़ित मरीज इस विधि को हालांकि सही बताते हैं, पर डॉक्टर इसको जानलेवा और खतरनाक मानते हैं। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों के हर 5 से 10 गांवों के बीच आपको एक ऐसा वैद्य जरूर मिलेगा जो कि इस विधि से लोगों का इलाज करता है।
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इसी प्रकार से राजस्थान के पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी इलाकों में इस प्रथा को देखा जा सकता है। यहां भी कई प्रकार की बीमारियों का इलाज इस विधि से ही किया जाता है। पहले के समय में यह प्रथा राजस्थान में काफी प्रचलित थी, पर वर्तमान में यह काफी कम हो गई है फिर भी कई बुजुर्ग लोगों के हाथ और कंधों पर आप आज भी दाग़े जाने के सफ़ेद निशान साफ़ देख सकते हैं।
किस प्रकार से होता है इलाज –
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लोग बताते हैं कि किसी चिमटे या लोहे के हंसियानुमा औजार को गर्म करके मरीज के उस स्थान पर दागा जाता है जहां बीमारी से तकलीफ होती है। लोग बताते हैं कि वैद्य गठिया, मिर्गी, लकवा, बेमची आदि कई प्रकार के रोगों का इलाज करता है।
