हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है गोगा पीर का पर्व

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वैसे तो गोगा पीर का पर्व मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा कई राज्यों में मनाया जाता है, परन्तु यह राजस्थान का लोक पर्व है। कहते हैं कि वीर गोगा गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वीर गोगा जी का जन्म संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। यह स्थान हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।

मध्यकालीन महापुरुष वीर गोगा जी हिन्दू, मुस्लिम, सिख सम्प्रदायों की श्रद्धा हासिल कर एक धर्मनिरपेक्ष लोक देवता के रूप में प्रसिद्ध हुए। गोगा देव के जन्मस्थान पर आज भी उनके घोड़े का अस्तवल है। सैकड़ों वर्ष बीत गए पर उनके घोड़े का रकाब अभी भी वहां विद्यमान है। भक्तजन इस स्थान पर कीर्तन करते हुए आते हैं और जन्म स्थान पर बने हुए मंदिर पर मत्था टेकते हैं और मन्नत मांगते हैं।

Goga JI mahraajImage Source: http://i.ytimg.com/

भादों माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की नवमियों को गोगा जी की स्मृति में मेला लगता है।

उत्तर प्रदेश में इन्हें हिन्दू लोग जाहर वीर तथा मुस्लिम लोग गोगा पीर कहते हैं। गोगा जी की समाधि इनके जन्म स्थान से 80 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, जो साम्प्रदायिक सद्भाव का केंद्र है। यहां पर एक हिन्दू और एक मुस्लिम पुजारी रहते हैं।

Goga JI mahraaj1Image Source: http://i.ytimg.com/

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