पांच दरिदों ने किया एक और निर्भया का अंत

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दिन पर दिन समाज में फैल रही दरिदंगी यह सोचने को मजबूर कर रही है कि लड़की का जीवन समाज में रहने वाले दरिंदों के बीच सुरक्षित नहीं रह गया है। अपनी मां के आंचल में छुपी हर बेटी अब यही कह रही है कि इस देश में अगर उसने जन्म लिया है तो भेड़ियों की नजर से बचना अब मुश्किल है। भले ही सरकार ने कड़े नियम कानून बना दिए हैं, पर आज भी हर दिन एक निर्भया मरती जा रही है।

हाल ही में सोनीपत में हुई एक घटना ने समाज को झंकझोर कर रख दिया। एक बच्ची के साथ हुई हैवानियत ने लोगों को रोने को मजबूर कर दिया, लेकिन घटना को अंजाम देने वाले दरिंदों का मन जरा भी नहीं पसीजा। यह घटना उस समय की है जब 14 साल की यह बच्ची अपने भाई के साथ साइकिल पर सवार हो दशहरे का मेला देखने निकली थी, परंतु उसे क्या मालूम था कि जिस दशहरे को देखने वो निकल रही है वह उसके लिए काल बन गया। उसके पीछे आज के रावण लग चुके हैं। घटना के वक्त पांच ऑटो वाले इस बच्ची को अगवा करके उसका शरीर दो घंटों तक नोचते रहे। वह रो-रोकर उनसे रहम की भिक्षा मांगती रही, परन्तु उन दरिंदो का दिल नहीं पिघला।

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जब इन्हीं में से एक दोषी को पता लगा कि वह इस लड़की के परिवार को जानता है तो उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए उसको मार डालना ही उचित समझा। अब ये दरिंदे अपनी सभी हद पार कर चुके थे। उन्होंने उस बच्ची को ऐसी मौत दी, जिसे सुनकर देखने सुनने वालों की रूह कांप जाए। इन आदमखोरों ने एक के बाद एक करके लड़की के सिर पर ईंटों से वार करना शुरू कर दिया। तड़पती बच्ची लगातार अपने बचने का सहारा ढूंढती रही कि इन रावण के चुंगल से बचाने कोई आ जाए पर लगातार वार होने के कारण जब वो बेहोश हो गई तब दुपट्टे के साथ उसका गला घोंट दिया और गांव नंगल कलों के पास ले जाकर मिट्टी खोद कर दफन कर दिया।

दरिंदों की जुबानी इस घटना के बारे में जिसने भी सुना उसका मन अशांत हो गया, आंखें भर आईं, परन्तु इन वहशियों का दिल एक बार न डोला। पुलिस ने शुक्रवार तक चार दोषियों को काबू कर लिया। घटना में शामिल व शनिवार को पकड़ा गया एक दोषी नाबालिग है। शनिवार को चारों दोषियों को अदालत में पेश किया गया और 5वें नाबालिग को बोस्टल जेल भेजा गया।
समाज में फैल रही इस दरीदंगी को देख अगर समाज के लोग अब भी नही जागेंगे तो रोज एक निर्भया की कहानी आपके पास आती ही रहेगी, क्योंकि आज के इस कलयुगी देश में राम नहीं रावण ने पूरी जगह ले ली है जिसका नाश होना बहुत जरूरी हो चुका है।

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