इस मंदिर के भगवान को देखने वाला हो जाता है अंधा

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कहा जाता है कि भगवान हमेशा ही भक्तों को वरदान प्रदान करते हैं। भगवान भक्तों का हर स्थिति में कल्याण ही करते हैं। भक्त मंदिर में प्रवेश करते ही भगवान की मूर्ति को देखकर स्वयं भगवान के समक्ष खड़े होने का अनुभव करता है, लेकिन हमारे देश में ही एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर भगवान को देखने पर भक्त अंधा हो जाता है। इतना ही नहीं इस मंदिर के पुजारी को भी भगवान की सेवा आंखों पर पट्टी बांध कर करनी पड़ती है। आंखों पर पट्टी बांधकर ही भक्त भगवान के दर्शन पूरी श्रद्धा भाव से करते हैं। इतना ही नहीं ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आने वाले हर भक्त की मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं।

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कहां पर है यह मंदिर और कैसे बना-

उत्तराखण्ड स्थित चमोली जिले के देवाल ब्लॉक में इस देवता का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर की खास बात यह भी है कि साल में एक ही बार इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। एक ही दिन खुलने पर भी इस मंदिर में दूर दराज के इलाकों से भारी तादाद में श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं। वैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ ही घंटों के लिए इस मंदिर को खोला जाता है। देश भर में यहां ही ऐसे देवता हैं जिनको पुजारी तक भी नहीं देख पाते।

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इस मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा है। जिस कारण ही भक्त इन्हें देख नहीं पाते। कहा जाता है कि यह लाटू देवता माता पार्वती के भाई हैं, लेकिन एक गलती के कारण ही इन्हें इस तरह की कैद में रखा जाता है। यह मंदिर वांण क्षेत्र नंदा देवी यात्रा मार्ग पर पड़ता है। शिव से विवाह होने पर पार्वती जी के सभी भाई उन्हें विदा करने के लिए कैलाश गए। इसमें पार्वती माता के चचेरे भाई लाटू भी थे। इस मार्ग में इनको प्यास लगने लगी। इस बीच लाटू देवता को घर दिखा। एक घर में पहुंच कर लाटू देवता ने पानी मांगा तो उस घर की बुजुर्ग महिला ने कहा कि अंदर घड़े में पानी है, जाओ पी लो। वहीं पर एक मटके में पानी और दूसरे में मदिरा थी। लाटू देवता ने अंजाने में मदिरा वाले मटके से पूरी मदिरा को पानी समझ कर पी लिया। कुछ देर बाद नशा होने पर देवता उत्पात मचाने लगे। इसे देखकर देवी पार्वती को गुस्सा आ गया और उन्होंने लाटू देवता को कैद में डाल दिया। कहा जाता है कि कैद में लाटू देवता एक विशाल सांप के रूप में विराजमान हैं। देवता के इस रूप को देखकर पुजारी या भक्त डर न जाएं, इस कारण इनके दर्शन नहीं किए जाते हैं। साथ ही पुजारी भी मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपनी आंखों पर पट्टी बांध लेते हैं। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर आता है वो पूरी हो जाती है।

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