प्रकृति में सब बीमारियों का इलाज मौजूद है। कई हजार वर्षों पूर्व जब डॉक्टर नहीं हुआ करते थे तब भी हमारी प्रकृति के माध्यम से सभी बीमारियों का इलाज किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इस तरह की तकनीक की जगह दवाइयों का प्रचलन बढ़ने लगा। प्रकृति के पास आज भी हमारी सभी बीमारियों को ठीक करने के लिए सभी साधन मौजूद हैं। मध्यप्रदेश के शिवपुरी में एक व्यक्ति करीब 62 वर्षों से एक पत्थर की मदद लेकर लोगों के दाद, खाज और खुजली जैसे अन्य चर्म रोगों का इलाज कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में रहने वाले मोतीचंद्र जैन कई वर्षों से लोगों का इलाज मुफ्त में कर रहे हैं। मोतीचंद्र के पास के एक ऐसा पत्थर है जिससे चर्म रोगों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। अभी तक मोतीचंद ने सैकड़ों रोगियों को ठीक किया है। कोलारस में जन्मे मोतीचंद को 1954 दिसंबर में छाजन नामक बीमारी हुई थी। इस दौरान उन्हें मालूम चला कि कोलारस का ही कुशवाहा परिवार शरीर की त्वचा से जुड़ी बीमारियों का इलाज करता है। मोतीचंद्र के इलाज के लिए कुशवाहा परिवार के लोगों ने इस पत्थर को पानी में घिसा और इसे मोतीचंद्र के प्रभावित हिस्से पर लगा दिया। इससे लगाने से ही मोतीचंद्र की बीमारी ठीक हो गई। बस तभी से मोतीचंद्र लोगों की त्वचा संबंधी बीमारियों का मुफ्त में इलाज कर रहे हैं।
क्या है इस पत्थर का रहस्य-
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इस पत्थर से बीमारी ठीक होने की बात धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में फैल गई। इसके बाद राजस्थान के कई पर्यावरणविद् और कई विशेषज्ञ भी मोतीचंद्र से मिलने पहुंच गए। इस पत्थर से आज तक हजारों लोगों का सफल इलाज किया जा चुका है। विशेषज्ञों ने जब पत्थर की जांच की तो पाया कि इस पत्थर में आर्सेनिक, सल्फर और गंधक के तत्व पाए गए हैं। इन सभी रसायनों से चर्म रोगों की दवाइयां भी बनाई जाती हैं। यह रासायनिक पत्थर मोतीचंद्र कहां से लाते हैं किसी को नहीं पता।
कई रोगों का होता है उपचार-
इस पत्थर को पानी में घिसना होता है जिससे एक सफेद रंग का द्रव्य तैयार होता है। इस द्रव्य को शरीर के प्रभावित स्थान पर लगाने से बीमारी ठीक हो जाती है। इस द्रव्य से मुंहासे, खुजली और छाजन जैसे रोगों के साथ ही चर्म रोग भी ठीक किए जाते हैं।