बैल को माना पारिवारिक सदस्य, मौत होने पर दिया मृत्यु भोज

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पशुओं के प्रति आज भी लोगों में कितनी मानवीयता जिंदा है हाल ही में इसका एक उद्धरण देखने को मिला है। यह घटना समाज को एक नया संदेश देती है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि वर्तमान में श्राद्ध पक्ष चल रहा है और हिंदू समाज अपने पूर्वजों को याद कर उनका श्राद्ध तथा तर्पण कर रहा है। इसी क्रम में एक अलग ही घटना देखने को मिली है।

इस घटना में एक परिवार ने अपने बैल की मृत्यु पर ग्रामवासियों को मृत्यु भोज दिया है। यह घटना मध्य प्रदेश के डबलचौकी नामक स्थान की है। यहां के निवासी एक किसान ने श्राद्ध पक्ष के इस मौके पर यह कार्य किया है। किसान का परिवार बैल को अपने परिवार का ही हिस्सा मानता था और इसीलिए उसने यह कार्य किया।

bull considered to be as a family member and his last rites done accordinglyimage source:

असल में डबलचौकी के अंतर्गत आने वाले ग्राम राजोदा के निवासी किसान माखनलाल पटवारी के यहां एक बैल वर्षों से रह रहा था। इस बैल को घर के सदस्य की तरह ही सभी लोग देखते थे। समय के साथ जब इस बैल की मृत्यु हो गई, तब किसान के घर वालों ने उसका अंतिम संस्कार कर गांव के लोगों को बैल का मृत्यु भोज दिया। माखनलाल पटवारी का कहना है कि वह बैल उनके घर में पिछले 26 वर्षों से था। इतने सालों तक घर में रहने के कारण सभी को उसके साथ लगाव हो गया था।

जब बैल की मृत्यु हो गई तो माखनलाल पटवारी ने परिवार सहित उज्जैन जाकर बैल के क्रियाक्रम का कर्मकांड कराया तथा घर आकर गांव के लोगों को मृत्यु भोज भी दिया। यह घटना समाज को मानवीयता का एक सबक देती है और यह बताती है कि पशु मानव की जीवन भर सेवा का कार्य करते हैं, इसलिए मानव को उनके साथ मानव की तरह ही बर्ताव करना चाहिए। आज जब चारों ओर लोग पशुओं की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहें हैं, तब यह घटना समाज को एक नया संदेश देती नजर आती है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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