एक लड़की की खूबसूरती ने राजस्थान के 84 गांवों को बनाया श्मशान!

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भानगढ़ के किले की कहानियां तो आपने कई बार सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको भानगढ़ की तरह ही एक रात में वीरान हुए कुलधारा गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में आपको जानकर बेहद हैरानी होगी कि इस गांव की कहानी के पीछे एक खूबसूरत लड़की की दास्तान छिपी हुई है। एक ऐसी दास्तान जिसमें एक लड़की की खूबसूरती ने रातों रात 84 गांवों को उजाड़ दिया। कुलधारा गांव एक ऐसा गांव है जो पिछले 200 सालों से एक रहस्य को ढो रहा है। एक ऐसा गांव जो पिछले दो शताब्दियों से एक राजा के पाप और पीड़ितों के श्राप के नीचे दबा हुआ है। आज हम आपको उसी गांव की दास्तान के बारे में बताने जा रहे हैं।

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अब आप जरूर सोच रहे होंगे कि हम कहानी कुलधारा गांव की बताने जा रहे हैं, लेकिन इसके साथ 84 गांवों का क्या रहस्य है। आज हम आपको सभी रहस्यों से पर्दा उठाकर सारी हकीकत से रूबरू करवाएंगे कि आखिर कुलधारा से जुड़े 83 गांवों के उजड़ने का क्या रहस्य है।

दरअसल राजस्थान के जैसलमेर से 25 किलोमीटर की दूरी पर बसा ये कुलधारा गांव एक वक्त में कभी ब्राह्मणों का गांव हुआ करता था, लेकिन इस गांव की एक खूबसूरत लड़की पर एक दिन एक शख्स की नजर पड़ी और देखते ही देखते एक रात में सब उजड़ गया। जिसके बाद से आज तक कोई यहां बस नहीं पाया। माना जाता है कि 1825 में यह पालीवाल ब्राह्मणों का गांव होता था। जिनके पूर्वजों का भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुकमिणी के साथ संबंध जुड़ा हुआ था। पालीवाल ब्राह्मण उनके पुरोहित हुआ करते थे, लेकिन यह कहानी उसके काफी बाद की है। जब पालीवाल ब्राह्मण किसान हुआ करते थे और भवन निर्माण से लेकर हर कला में निपुण थे।

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राज्य के दूसरे गांवों की तुलना में यह गांव काफी खुशहाल व एकदम सम्पन्न था, लेकिन एक दिन इस गांव के मुखिया की 18 साल की सुंदर बेटी पर रिसायत के मंत्री की नजर पड़ी। उसने मुखिया से मिलकर उसकी बेटी से शादी करने की इच्छा भी जाहिर की, लेकिन मुखिया ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया और ठुकरा दिया। जिसके बाद उस मंत्री सलीम सिंह ने गांव वालों पर भारी टैक्स लगाने और उन्हें बर्बाद करने की चेतावनी दे डाली। जिसके बाद कुलधारा गांव के मुखिया का आस-पास के 83 गांव के लोगों ने मुखिया की लड़की के सम्मान की खातिर हमेशा के लिए उस जगह को छोड़ने का निश्चय किया और वह रात ही रात घर, परिवार और सामान लेकर गांव छोड़ गये। जिनको जाते हुए ना किसी ने देखा और ना किसी को पता चल पाया कि आखिर वह कहां गये।

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इस तरह एक लड़की के सम्मान की खातिर 83 गांव कुलधारा गांव के मुखिया के समर्थन में आए। जिसके बाद उन्होंने जाते-जाते इस गांव को श्राप दिया कि उनके जाने के बाद इस गांव मे कोई भी नहीं बस पाएगा और अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी मौत निश्चित है। तब से लेकर आज तक ये गांव उसी श्राप के कारण वीरान और सूनसान पड़ा है। यह कभी शानदार हवेलियों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यहां सिर्फ चारों तरफ खंडहर ही खंडहर बचे हैं। यहां किसी को भी सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच जाने की अनुमति नहीं है।

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