आजतक इस गांव में नहीं पहुंची बिजली, बल्ब देख रोने लगते हैं लोग

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आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जहां पर आजतक किसी ने बिजली देखी तक नहीं है, असल में इस गांव के लिए बिजली किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इस गांव के लोग बिजली को कुछ इस प्रकार से देखते हैं जैसे की किसी UFO को सामने देख कर आदमी चकित हो जाता है। तो आइये आपको बताते हैं की इस गांव में अभी तक किसी ने आखिर बिजली क्यों नहीं देखी और आखिर ऐसा होने का असल कारण क्या है।

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इसलिए इस गांव के लोग आज तक नहीं देख पाये बिजली –

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असल बात यह है कि यह गांव जिसका नाम “जंस्कार वैली” है, लेह लद्दाख के ‘फुकतल गोम्पा मॉनेस्ट्री’ नामक पहाड़ पर बना है और इस पहाड़ पर जाना एक सामान्य व्यक्ति के लिए भी असम्भव है क्योंकि यहां पहुंचने के लिए न तो कोई सड़क है और न ही कोई अन्य वैकल्पिक माध्यम। यहां पहुंचने के लिए आपको सिर्फ अपने पर भरोसा रख कर स्वयं ही रास्ता चुनना पड़ता है। इस गांव में आपको पहुंचने के लिए ख़राब मौसम की मार को झेलते हुए 4 से लेकर 8 दिन का सफर करना पड़ता है जो की खतरों से भरा हुआ होता है।अब आप ही बताएं एक ऐसी जगह जहां सामान्य लोग ही नहीं जा सकते हैं वहां बिजली कैसे जा पाएगी? यहीं कारण है कि जब से बिजली का अविष्कार हुआ है, यहां के लोगों ने बिजली को देखा तक नहीं है परन्तु अब एक NGO के जरिये इनको वैकल्पिक ऊर्जा दी जा रही है।

अब दी जा रही है वैकल्पिक ऊर्जा –

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आज तक बिजली को न देखने वाले इस गांव को अब वैकल्पिक ऊर्जा दी जा रही है और यह कार्य कोई सरकार नहीं कर रही है बल्कि “ग्लोबल हिमालयन एक्सपीडिशन” नाम की संस्था के संस्थापक पारस लुंबा कर रहें हैं। इसके अनुसार इस वर्ष जून के माह से “जंस्कार वैली” में बिजली की शुरुआत हो जाएगी। “ग्लोबल हिमालयन एक्सपीडिशन” नाम की इस संस्था की शुरुआत पारस लुंबा ने चंडीगढ़ में 6 अगस्त 2013 को की थी। इनकी यह संस्था अब लेह-लद्दाख के 11 गांवों को सोलर ऊर्जा से रोशन कर चुकी है और इस वर्ष 35 से 40 गांवों को रोशनी देने का लक्ष्य है। पारस कहते हैं पहली बार अपने घर में LED बल्ब को देख कर कुछ लोग खुशी से रोने लगते हैं तो कुछ लोग यह पूछते हैं की इसमें तेल कहां से डलेगा। पारस कहते हैं बिजली आने से यहां के लोगों की आमदनी भी बढ़ गई है और यहां के लोगों ने अपने-अपने गांव के नाम से एक-एक बैंक खाता भी खोला है जिसमें ये लोग 100 रूपए हर महीने जमा करते हैं ताकि सोलर पैनल खराब होने पर उनको फिर से सही कराया जा सकें।

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