वर्तमान में इंसान ने विज्ञान की उन उंचाई को छू लिया हैं कि उसने कुदरत के नियम तक बदल दिए हैं। आज के युग में मर्द भी महिलायों की तरह बच्चे पैदा करने लगे हैं लेकिन अगर एक मछली किसी इंसान जैसे बच्चे को जन्म दे तो आपका सर भी चकरा जाएगा। आइये जानते हैं, इस पूरी खबर को हमारी इस पोस्ट में। सबसे पहले हम आपको बता दें कि यह मामला उस समय का है जब विज्ञान आज की तरह विकसित नहीं था। इस घटना में एक मछली ने दो इंसानी बच्चों को जन्म दिया था।
आपको जानकर हैरानी हो रही होगी पर ज़रा सोचें की आज से 200 वर्ष पहले यदि कोई हवाई जहाज में उड़ने की बात कहता तो लोग इसे मजाक समझते लेकिन आज हम आकाश में हवाई यात्रा करते हैं। उसी तरह असंभव सा लगने वाला यह किस्सा पूरी तरह से सच हैं।
एक मछली ने दो इंसानी बच्चों को जन्म दिया था हालांकि जन्म देने से पहले ही मछली की मौत हो गई थी। जो एक मछुआरे के हाथ आई, जब उस मछली का पेट चीरा गया तो उसके पेट से एक लड़का तथा एक लड़की निकली। हैरानी की बात यह हैं कि मछुआरे ने इन बच्चों के पिता का पता लगाकर उसको बच्चों को सौंप दिया था।
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साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना हैं यह सत्य –
यह कथा आज से करीब साढ़े पांच हजार वर्ष पुरानी हैं। भारत के ही एक हिस्से चेदि का राजा अपनी पत्नी के साथ वन विहार कर रहा था तब उसकी पत्नी को गर्भ धारण करने की इच्छा हुई। उस समय श्राद्ध पक्ष चल रहा था इसलिए राजा ने अपने शुक्राणु को पात्र में रख कर एक पक्षी की सहायता से उसके पास भिजवाने का विचार किया। इस दौरान जब पक्षी राजा के शुक्राणुओं का पात्र लेकर आकाश में उड़ रहा था तो रास्ते में किसी अन्य पक्षी से हुई छीना झपटी में उस पात्र का द्रव नीचे यमुना नदी में गिर गया।
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इस प्रकार हुआ मछली से बच्चों का जन्म –
इस नदी में रहने वाली उस समय अद्रिका नामक एक अप्सरा ने उस द्रव को निगल लिया जोकि इस नदी में मछली के रूप में रहती थी। इस घटना के बाद वह गर्भवती हो गई। उस शापित मछली के पेट से निकले दोनों बच्चों को मछुआरे ने उस राजा को सौंप दिया जिसके द्रव से वह पैदा हुए थे।
राजा ने लड़के को अपने पास रख लिया तथा लड़की को मछुआरे ने पाला। आगे जाकर लड़के का नाम “मतस्य” पड़ा और वह मतस्य राज्य का ही राजा बना। लड़की का नाम मछुआरे ने “मतस्यगंधा” रखा क्योंकी उसके शरीर से मछली की गंध आती थी और इसलिए कोई सामान्य मानव उसके पास नहीं फटकता था। कुछ समय बाद अचानक मिले पराशर ऋषि ने अपने तपोबल से मतस्यगंधा की दुर्गन्ध को सुगंध में बदल दिया जिसके बाद मतस्यगंधा का नाम बदल कर सत्यवती रख दिया गया।
इन्ही सत्यवती नामक महिला से ऋषि व्यास” का जन्म हुआ था जिन्होंने महाभारत सहित कई अन्य ग्रंथ लिखे। यही सत्यवती आगे चलकर पांडवो की परदादी हुई।