इतनी दौलत को खर्च कैसे करें? पूछ रहे हैं ये अरबपति उद्योगपति

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दुनिया में अगर रिचेस्ट पर्सन की बात की जाए तो उनमें ऑनलाइन मार्केटिंग किंग माने जाने वाले जेफ बेजास का नाम सबसे उपर की लिस्ट में देखा जा सकता है। ये अमेजन के संस्थापक  हैं, लेकिन इन दिनों वो अपने पैसो को लेकर परेशान हैं. खबर है कि वो इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनकी अकूत संपत्ति का वो करें तो क्या करें? हलांकि जेफ बेजास पहले कई बार अपनी परेशानी से दुनिया को अवगत कराया था, एक साल पहले भी वो अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से अपने फॉलोअर्स से पूछा था कि वे कैसे और किस तरह से चैरेटी पर पैसे खर्च करें ? और उसी कड़ी में बीते हफ्ते जेफ बेजास और उनकी पत्नी मेकेंजी ने चैरेटि के आगाज़ की योजना का ऐलान किया था।

उनकी पहली प्राथमिकता है कि जो भी बेघर लोग हैं उनके लिए आशियाना और शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल से पहले की शिक्षा में  सुधार के लिए कुछ नया करने के मकसद से एक नया फाउंडेशन बनाने की बात कही है, जिसका नाम होगा ‘बेजास डे वन’ इसके लिए फंड बनाकर 2 अरब डालर (करीब 140 अरब रुपये) दान देंगे, हलांकि सुनने में ये रकम काफी बड़ी है लेकिन हकीकत ये है कि यह रकम बेजास की कुल संपत्ति का एक छोटा सा हिस्सा है। फोर्ब्स मैगजीन की माने तो जेफ बेजास की संपत्ति वर्तमान में 162 अरब डॉलर है। जानकार ये मानते हैं कि नए फाउंडेशन के नाम से ये ज़ाहिर होता है कि ये तो एक छोटी सी शुरुआत भर है आगे कई और बड़े ऐलान हो सकते हैं। अगर बात करें अप्रैल में हुए जेफ बेजास के उस इंटरव्यू की जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘मेरी नजर में इतने बड़े वित्तीय संसाधन के वितरण का एक ही तरीका है और वह यह है कि ‘मैं अपने अमेजन की कमाई को अंतरिक्ष यात्रा में लगा दूं.’

जेफ बेजास

वैसे बेजास अपनी बेशुमार संपत्ति को कब और कैसे खर्च करेंगे ? ये सवाल तो सचमुच काफी बड़ा है, लेकिन ये भी कम इंपॉर्टेंट नहीं है कि आखिर उनके पास इतना धन क्यों आया? उनकी इस मेगा संपत्ति में हमें आर्थिक ढांचे और उन्हें खरबपति बनाने वाली टेक इंडस्ट्री के प्रभाव के बारे में क्या कहती है? और, उनकी संपत्ति की तरह ही उतना ही विशाल सवाल भी है कि इतनी बड़ी संपत्ति के लिहाज से उनके दायित्व क्या हैं और वह इन पैसों का करेंगे क्या, क्या इससे समाज का कोई वास्ता है? सच कहा जाए तो इसका जवाब है- हां, इससे हमारा सीधा वास्ता है।

सच तो ये है कि जेफ बेजास की अकूत संपत्ति सिर्फ उनके टैलेंट की बदौलत नहीं है, इसके पीछे  विश्व स्तर पर इकोनॉमी को आकार दे रही कुछ बड़ी ताकतें भी हैं, इनमें एक है- डिजिटल टेक्नालॉजी का असामान्य असर जिसने एक बड़े वर्ग के लिए लागत घटाई और सुगम बना दिया। पर हकीकत यह है कि ऐसा उन्हीं के साथ हुआ जिनका प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ  गिनती की सुपरस्टार कंपनियों और उनके सबसे बड़े शेयर धारकों तक सिमट कर रह गया. इस तरह से अकूत धन अर्जन के पीछे लेबर और इकनॉमिक पॉलिसी का भी उतना ही असर है जिसका अमेरिका मे बाखूबी पालन नहीं हुआ और जिसने E-बिजनेस से कमाई गई अकूत संपत्ति की समस्या को बढ़ावा ही दिया है।

इस मले में अमेजन का कहना है कि उसके वेयर हाउस में काम करने वाले लोगों को हर घंटे औसतन 15 डालर (करीब 1000 रुपये) पारिश्रमिक मिलता है, जिनमें वेतन और दूसरे मुआवजे भी शामिल हैं। कंपनी ने यह भी दावा किया कि वो अपने कर्मचारियों को कार्य कौशल के लिए ट्रेनिंग भी देते हैं। 15 डालर प्रति घंटा वेतन कुछ अन्य रिटेलरों की तुलना में काफी ज्यादा माना जा सकता है, लेकिन अमेरिका में एक सामान्य परिवार को अपनी मूलभूत जरूरतें पूरी करने के लिहाज से ये रकम कम है।

जेफ बेजास

ऐसे में सवाल ये उठता है कि बेजास इस समस्या को चैरिटी के जरिए कैसे सुलझाएंगे ? विनर्स टेक ऑल (विजेता सब कुछ हथिया लेते हैं) नामक अपनी बुक में संपत्ति अर्जित करने के असीमित अवसर पर आपत्ति दर्ज करने वाले लेखक आनंद गिरिधर दास ने कुछ लचीली आर्थिक नीतियों का सुझाव दिया है। इनमें कार्मचारी  यूनियनों की मजबूती, शिक्षा के लिए समान भुगतान, न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि और ज्यादा प्रगतिशील टैक्स सिस्टम पर जोर जैसे उपाय शामिल हैं. दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स और वारन बफेट भी मान चुके हैं कि उन्हें और ज्यादा टैक्स देना चाहिए जो देश के विकास के लिए ज्यादा उपयोगी होगा जिससे सबका विकास संभव हो सकेगा।.

Pratibha Tripathi
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कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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