बॉलीवुड स्टार आमिर खान के असहिष्णुता के मुद्दे पर दिए गए बयान के बाद असहिष्णुता का बाजार फिर से गर्म हो गया है। आमिर खान के इस बयान पर अनुपम खेर, अरविंद केजरीवाल, रामगोपाल वर्मा, रवीना टंडन, शशि थरूर आदि ने उनसे प्रश्न किए हैं, तो कुछ लोग उनके सपोर्ट में भी उतरे हैं। इस लिस्ट में अब मशहूर संगीतकार एआर रहमान भी शामिल हो गए हैं।
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार ऑस्कर विजेता रहमान ने कहा है कि कुछ महीने पहले उन्हें भी आमिर खान की तरह असहिष्णुता के हालात का सामना करना पड़ा था। गौरतलब है कि आमिर ने सोमवार को कहा था कि देश का माहौल देखकर उनकी पत्नी किरण राव ने एक बार पूछा था कि क्या उन्हें देश छोड़ देना चाहिए। जिसके बाद लोगों ने बयानबाजी शुरू कर दी और कुछ लोग आमिर के विरोध में आ गए।
रहमान ने कहा कि कुछ महीने पहले वह भी इसी हालात से गुजरे हैं। मुंबई की रजा अकादमी द्वारा जारी किए गए एक फतवे का रेफरेंस देते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्हें यह फतवा ईरानी फिल्म मोहम्मदः मैसेंजर ऑफ गॉड में म्यूजिक देने के कारण दिया गया था। यह ईरान की सबसे महंगी फिल्म थी, जिसकी कॉस्ट 253 करोड़ थी। इस फिल्म के डायरेक्टर मशहूर ऑस्कर विनर डायरेक्टर माजिद मजीदी हैं। फिल्म में पैगंबर साहब के बचपन की स्टोरी दिखाई गई है। हालांकि उनका रोल करने वाले एक्टर का चेहरा नहीं दिखाया गया है सिर्फ परछाईं दिखाई गई है, लेकिन फतवे में कहा गया था कि ईरानी फिल्म ने इस्लाम का मजाक उड़ाया है। जो मुस्लिम मजीदी और रहमान इस फिल्म में काम कर रहे हैं वो नापाक हो गए हैं उन्हें फिर से कलमा पढ़ने की जरूरत है।
रहमान ने आगे कहा कि कुछ भी हिंसक नहीं होना चाहिए। हमें दुनिया को यह दिखाना चाहिए कि भारत में बेस्ट सिविलाइजेशन है। हमें पूरी दुनिया को बताना चाहिए की हम महात्मा गांधी के देश से हैं। गांधीजी ने कहा था कि हिंसा के बिना भी हम कैसे बदलाव ला सकते हैं। इस प्रकार से रहमान का यह बयान इस बात की ओर साफ़ इशारा करता नजर आता है कि असहिष्णुता का किसी विशेष मज़हब या संप्रदाय से मतलब नहीं है बल्कि व्यक्ति की अपनी मानसिकता से है।