महाभारत वैसे तो एक प्राचीन ग्रंथ है, पर इसमें दिल्ली से सम्बंधित कुछ बातों का भी उल्लेख किया गया है। आज हम आपको यहां वहीं बातें बता रहें हैं। इन बातों को बहुत कम लोग जानते हैं। कम से कम दिल्ली के निवासियों को ये बातें जरूर जाननी चाहिए। जैसा की आप जानते ही होंगे कि महाभारत का युद्ध आजतक का सबसे विशाल युद्ध माना जाता है। इस युद्ध में दुनिया के बड़े बड़े योद्धा शामिल थे। इस युद्ध में पांडवों की जीत हुई और समाज में शांति तथा सद्भाव को स्थापित करने के लिए श्रीकृष्ण ने अश्वमेघ यज्ञ करने के लिए पांडवों को प्रेरित किया था।
दिल्ली में ही हुआ था अश्वमेघ यज्ञ
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जब श्रीकृष्ण ने पांडवों को अश्वमेघ यज्ञ करने को कहा तो उस समय पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा थे। आपको बता दें कि हस्तिनापुर वर्तमान में मेरठ मंडल में आता है। इस यज्ञ के लिए महार्षि वेदव्यास को पुरोहित बनाया गया तथा उनसे यज्ञ का स्थान निर्धारित करें को कहा गया। तब महार्षि वेदव्यास ने इस यज्ञ के लिए इंद्रप्रस्थ नगरी को उत्तम बताया था। जैसा की आप जानते ही हैं कि उस समय दिल्ली ही इंद्रप्रस्थ कहलाती थी। इस दौरान जब पांडवों ने इंद्रप्रस्थ को चुनने का कारण पूछा तो महर्षि वेदव्यास ने दिल्ली के बारे में कुछ ऐसा बताया जो शायद आपने कभी सुना भी नही होगा। आइये जानते हैं कि क्या कहा महर्षि वेदव्यास ने दिल्ली के बारे में।
दिल्ली है धर्म के लिए उत्तम स्थान
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महर्षि वेदव्यास ने दिल्ली के बारे में पांडवों को बताते हुए कहा कि जब पुरातन काल में संसार की रचना हुई थी तब समुद्र से सबसे पहले धरती ही निकल कर आई थी। इस कारण से यह भू भाग एक मंदिर के सामान है तथा यहां होने वाले धार्मिक कार्य हमेशा सफल होते हैं। अश्वमेघ यज्ञ सफल हो इस कारण से ही महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को इंद्रप्रस्थ में यज्ञ कराने के लिए कहा था। इस प्रकार से दिल्ली के बारे में महाभारत ग्रंथ में वर्णन मिलता है जो इस बात को दर्शाता है कि दिल्ली शहर का इतिहास बहुत ज्यादा प्राचीन तथा ऐतिहासिक है।