विवाह तो आपने खूब देखे होंगे, पर घर में बहू लाने का ऐसा जुनून आपने कभी नहीं देखा होगा। आज हम आपको देश के एक ऐसे स्थान के बारे में बता रहें हैं जहां अपने घर में बहू लाने के लिए लोग जान की बाजी लगाते हैं। यह घटना देश के उन 2 गावों की है जहां के लोग जुनून पर्याय बन चुके हैं। इन दोनों गावों के लोगों की जिद दोनों गावों के मध्य रोटी -बेटी का रिश्ता कायम करने की है। समस्या यह है कि दोनों ही गावों के बीच “गोरी” नामक नदी तेज बहाव से बहती है।
इस कारण एक गांव से दूसरे गांव में जानें का माध्यम सिर्फ “रस्सी के सहारे चलने वाली ट्रॉली” है। इस ट्राली को ही अपना माध्यम बना कर अब गांव के लोग एक दूसरे के गांव में विवाह करने जाते हैं और दुल्हन को रस्सी की ट्राली के सहारे ही अपने गांव में लेकर आते हैं। इस प्रकार से दोनों ही गावों के लोग जान की बाजी लगा कर बहू को अपने घरों में लाते हैं।
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यह घटना उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की तहसील बंगापानी से सामने आई है। इस तहसील के मोरी व घुरुड़ी गांव 2013 के बाद एक दूसरे से लगभग कट ही गए थे। वजह थी जल आपदा। दरअसल जल आपदा में गोरी नदी पर बना पुल बह गया था। अब आवागमन का साधन सिर्फ रस्सी की ट्राली ही रह गई थी। इस बीच मोरी गांव के निवासी राजेश परिहार का विवाह घुरुड़ी गांव की तनूजा नामक लड़की के साथ तय हुआ।
विवाह तो तय हो गया, पर वर पक्ष वालों के सामने अब बारात को लड़की के घर ले जाने की समस्या थी। कुछ लोग रस्सी की ट्रॉली के सहारे दूसरी और जाने के लिए निकल गए तो कुछ लोगों ने नदी में चीड़ के लट्ठे डाल दिए ताकि वे पुल का कार्य कर सकें। लट्ठे तो डाल दिए, पर पटरों का इंतजाम नहीं हो पाया। बाद में लोगों ने हिम्मत को जुटाया और लट्ठों पर ही नदी पार की तथा लड़की के घर बारात लेकर पहुंचे।
बारात का स्वागत धूम धाम से किया गया। जब दुल्हन की विदाई का समय हुआ तो दुल्हन को रस्सी की ट्राली के सहारे ही मोरी गांव पहुंचाया गया। इस प्रकार से यह विवाह संपन्न हुआ। इस तरह लोग अपनी जान की बाजी लगा कर विवाह कर रहें हैं। इस विवाह के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद दोनों ही पक्षों के लोगों के चेहरे पर शांति और खुशी स्पष्ट झलक रही थी।