भादवा देवी के इस मंदिर में नेत्रहीन लोगों को मिलती हैं आंखें और बीमारियां होती हैं दूर

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मां दुर्गा के अपने देश में बहुत से मंदिर हैं, पर उनमें से कुछ मंदिर अपनी विशेषताओं के लिए फेमस हैं। आज हम आपको यहां एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जानकारी दे रहें हैं। मां दुर्गा को शक्ति स्वरूपा कहा जाता है। अलग-अलग नामों से देवी दुर्गा के बहुत से मंदिर देश विदेश में स्थित हैं। आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहें हैं उसका नाम है “भादवा देवी मंदिर“, यह मंदिर भी देवी दुर्गा के भादवा स्वरुप का ही मंदिर है। यह मंदिर अपने आप में खास माना जाता है। इस मंदिर में आए दिन चमत्कार देखने को मिलते रहते हैं। यहां बीमार लोग स्वस्थ होते हैं, तो दूसरी ओर नेत्रहीन लोगों को आंखें मिलती हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस मंदिर के बारे में।

भादवा देवी मंदिरImage Source:

भादवा देवी मंदिर मध्य प्रदेश के नीमच से महज 18 किमी दूर पर स्थित है। यह काफी प्रसिद्ध धार्मिक स्थान माना जाता है। इस स्थान पर दूर-दूर से नेत्रहीन, लकवा तथा कोढ़ के रोगी आते हैं तथा भादवा देवी के आशीर्वाद से स्वस्थ होकर जाते हैं। इस मंदिर में देवी भादवा की एक सुंदर प्रतिमा विराजित है। मुख्य प्रतिमा के नीचे ही देवी दुर्गा के 9 रूप भी स्थापित हैं। यहीं पर एक दिव्य जोत भी जलती रहती है। यह दिव्य जोत कई वर्षों से स्वयं ही जलती आ रही है। इस जोत के दर्शन करने वाले लोग खुद ही इसको देख कर हैरान हो जाते हैं। भादवा देवी मंदिर में आपको कई लकवा रोगी तथा नेत्रहीन लोग दिखाई पड़ जाएंगे। ये लोग देश के दूर-दूराज के स्थानों से आते हैं तथा रात को मंदिर के सामने ही सोते हैं। कई लोग अपना पंडाल लगा कर मंदिर के सामने लेटे रहते हैं। ये रोगी इस मंदिर से स्वस्थ होकर जाते हैं। भादवा देवी मंदिर के पास में ही एक बावड़ी स्थापित है। यह बावड़ी काफी प्राचीन है। माना जाता है कि देवी भादवा ने अपने भक्तों को स्वस्थ करने के लिए इस स्थान से दिव्य जलधारा निकाली थी। माना जाता है कि इस जल में जो भी स्नान करता है, वह रोग मुक्त हो जाता है। चैत्र तथा कार्तिक माह में इस मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है। उस समय काफी दूर-दूर से लोग भादवा देवी मंदिर में आते हैं और उनका दर्शन कर पुण्य पाते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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