जानिये सभी धर्मों के विशेष रंगों और उनके पीछे छिपे अर्थ को

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आपने बहुत से धर्मों में विशेष रंगों को उपयोग करते हुए देखा ही होगा, पर बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इन सभी धर्मों में आखिर अलग-अलग रंग को विशेष महत्व क्यों दिया गया हैं और उनके पीछे असल कारण क्या हैं? आज हम आपको इसी तथ्य के बारे में ही बता रहें हैं। जैसा की आप जानते ही हैं कि हर धर्म का अलग रंग होता है और उस विशेष रंग का प्रयोग ही उस धर्म में सबसे ज्यादा किया जाता है, लेकिन ऐसा क्यों होता है इस बारें में कम लोग ही जानते हैं, इसलिए हम आपको यहां बता रहें हैं इन कारणों के बारे में, तो आइए जानते हैं कि आखिर किस धर्म का क्या रंग होता है और उसके पीछे आखिर क्या अर्थ छिपा होता है।

1 – हिंदू धर्म –

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हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही केसरिया रंग का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। इसे हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा पवित्र भी माना गया है। हिंदू धर्म के सन्यासी इस रंग का सबसे ज्यादा प्रयोग करते हैं। किसी भी शुभ कार्य पर इस रंग का प्रयोग किया जाता है। असल में इस रंग का संबंध अग्नि से है और इस रंग का प्रयोग करने से मन में ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए हिंदू धर्म में इसका सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है।

2 – इस्लाम धर्म –

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इस्लाम में हरे रंग को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती है। बहुत से इस्लामिक धार्मिक स्थानों पर भी हरे रंग का ही सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इस्लाम में हरे रंग के झंडे को भी पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि हरा रंग शांति, समृद्धि तथा खुशहाली का रंग है और इसके प्रयोग से जीवन में खुशी आती है।

3 – ईसाई धर्म –

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ईसाई धर्म में सफेद रंग का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। सफेद रंग को शांति तथा सादगी का रंग माना जाता है। कहा जाता है कि सफेद रंग के प्रयोग से मन में शांति पैदा होती है। यही कारण है कि अधिकतर चर्च सफेद रंग के होते हैं। ईसाई धर्म के धार्मिक कार्यों में भी सफेद रंग का ही अधिक प्रयोग किया जाता है तथा शादी में भी सफेद रंग के कपड़ों का अधिक प्रयोग किया जाता है।

4 – सिख धर्म –

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सिख धर्म में भी केसरिया रंग को ही प्रमुख और पवित्र रंग माना जाता है। गुरू गोविंद सिंह जी ने सिक्ख धर्म के लोगों को देश तथा धर्म के लिए बलिदान देने का संदेश दिया था। यह केसरिया रंग उसी बलिदान संदेश का प्रतीक प्रतिनिधि है। आपको हम बता दें कि बौद्ध धर्म में भी केसरिया रंग को विशेष महत्व दिया जाता है। बौद्ध धर्म में केसरिया रंग को आत्म त्याग तथा बंधन से मुक्त करने वाले रंग के प्रतीक रूप में माना जाता है। इस कारण ही बौद्ध धर्म के सन्यासी भी केसरिया रंग को ही धारण करते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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