वैसे तो भगवान शिव के बहुत से शिवालय प्रसिद्ध हैं, पर आज हम जिस शिवालय के बारे में आपको बता रहें हैं वहां कभी भगवान राम ने भी लंबा समय बिताया था। जी हां, यह इस शिवालय की विशेषताओं में से एक विशेषता है, जो इसको ऐतिहासिक बनाती है। दूसरी बात यह है कि इस मंदिर का शिवलिंग अत्यंत प्राचीन है और प्राकृतिक रूप से स्वयं ही निर्मित हुआ है। इस मंदिर का नाम “गुप्तेश्वर महादेव” है। सावन के महीने तथा महाशिवरात्रि को यहां पर शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है। आइए अब आपको विस्तार से बताते हैं इस शिव मंदिर के बारे में।
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यह ऐतिहासिक शिवालय छत्तीसगढ़ में जगदलपुर से 43 किमी की दूरी पर छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा की सीमा पर बनी कोलाब नदी के तट पर एक पहाड़ी में बनी गुफा में स्थित है। इस गुफा में एक प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग है, जिसकी ऊंचाई करीब 5 फिट है। इस गुफा के पास ही एक और गुफा है, जिसको “कारी गाय गुफा” कहा जाता है। इस गुफा में भी एक शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है और उस पर गुफा का पानी लगातार टपकता रहता है। इस स्थान पर शिवरात्रि पर्व पर 2 दिन का मेला भी लगता है। इस मेले में दोनों ही राज्यों के हजारों लोग यहां गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए आते हैं। कोलाब नदी पर कोई पुल नहीं है, इसलिए मेले के दौरान संबंधित विभाग की ओर से लकड़ियों के एक अस्थाई पुल का निर्माण किया जाता है। गुप्तेश्वर महादेव नामक इस मंदिर के विषय में यह मान्यता है कि जब प्रभु श्रीराम को वनवास हुआ था, तब बारिश के मौसम में इन्होंने 4 माह इस गुफानुमा मंदिर में शिव उपासना कर काटे थे। यह मंदिर पहाड़ी के ऊपर गुप्त स्थान पर बना है, इसलिए इसको “गुप्तेश्वर महादेव” कहा जाता है। वर्तमान में काफी लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।