मंदिर अपने देश में बहुत से है पर आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको जानकारी दें रहें है, वह मंदिर एक रहस्यमय मंदिर हैं और यहां छुपा है बेशुमार खजाना। जी हां, इस मंदिर में बेशुमार खजाना है साथ ही इस मंदिर की यह विशेषता भी है कि इस मंदिर के खम्बों को आज तक कोई नहीं गिन सका है, तो आइए अब हम विस्तार से आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं।
सबसे पहले तो हम आपको यह बता दें कि यह देवी महालक्ष्मी का मंदिर हैं और यह एक शक्तिपीठ भी है असल में यहां पर देवी सती का त्रिनेत्र गिरा था, इसलिए यह आज शक्तिपीठ के रूप में भक्तगणों में प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर में देवी लक्ष्मी अपने सम्पूर्ण रूप में सदैव रहती हैं। यह मंदिर कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में स्थित है। यहां पर बाहर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। आपको हम बता दें कि कोल्हापुर को पंचगंगा नदी तट की नगरी भी कहा जाता है क्योंकि पांच नदियों के संगम का स्थान है, देवीगीता में कोल्हापुर का उल्लेख “करवीर” क्षेत्र के नाम से भी किया गया है।
“कोलापुरे महास्थानं यत्र लक्ष्मीः सदा स्थिता।”
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माना जाता है कि भगवान विष्णु ने इस स्थान पर महालक्ष्मी का रूप धारण कर कौलासुर नामक दानव का वध किया था और उस समय से ही इस स्थान का नाम “करवीर” पड़ गया, जो की बाद में “कोलापुर” नाम से प्रसिद्ध हो गया। कोल्हापुर में यह मंदिर “श्री महालक्ष्मी मंदिर हेमाड़पंथी” के नाम से फेमस है। इस मंदिर के खम्बों को आज तक कोई नहीं गिन पाया है और जिसने भी ऐसी कोशिश की उसके साथ कोई न कोई अनहोनी अवश्य हो गई। यह मंदिर अति प्राचीन माना जाता है तथा इसमें आप चारों ओर से प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर के गुप्त स्थान को 3 वर्ष पहले जब खोला गया, तो यहां से पुराने समय के बहुत से हीरे- जवाहरात मिले थे, जिनकी कीमत आज अरबों रूपए में हैं, इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर में चालुक्य वंश के राजाओं सहित आदिल शाह जैसे कई अन्य राजाओं ने बहुत धन भेंट किया था, जो आज भी सुरक्षित है।