जानिये अंडरवियर का 7 हजार साल पुराना इतिहास

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देखा जाए तो इंसान को अच्छा और सुंदर दिखाने में कपड़ों की बहुत ज्यादा भूमिका है, यदि हम लोग कपड़े न पहने तो हम किसी आदिम मानव से काम नहीं दिखेंगे पर यह भी नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को आकर्षित दिखने के लिए जिन कपड़ो की जरुरत होती है उनमें उसके अंतर्वस्त्रों का भी बहुत योगदान होता है, आज के समय में इन कपड़ो को हम अंडरवियर, बनियान या चड्डी आदि के नाम से जानते हैं पर आज हम आपको बता रहें हैं इन अंर्तवस्त्रों में से एक “अंडरवियर” के इतिहास के बारे में। आइये जानते हैं इसकी शुरुआत कहां और कैसे हुई।

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कहा जाता है कि अंडरवियर का सबसे पहला प्रतिरूप “लंगोटी” था जो की चमड़े का बना हुआ होता था। इसको अपने पैरों के बीच से निकाल कर पीछे की ओर बांधा जाता था। इस लंगोटी नामक अंडरवियर के 7 हजार साल पुराने अवशेष मिले हैं जो की अंडरवियर के इतिहास को 7 हजार साल पुख्ता करते हैं।

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13 वीं शताब्दी में ढीले और मानव अंगो को पूरी तरह से ढकने वाले अंडरवियर का चलन शुरू हुआ था पर जिस प्रकार का इनका डिजाइन था उस हिसाब से ये व्यक्ति के लिए आरामदायक नहीं थे। इस कारण इनसे पसीने या खुजली आदि की कई प्रकार की समस्याएं पैदा हुई।

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पुनर्जागरण काल के बाद में लोगों में सख्त कपड़े पहनने का चलन आया। जिसके कारण कपड़े काफी टाइट बनने लगे। इन्ही में अंडरवियर भी शमिल हुआ और वह भी कुछ छोटा हो गया पर इसका डिजाइन कुछ अलग था, इसमें पेशाब करने के लिए आपको एक फ्लैप भी दिया हुआ था।

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19 वीं शताब्दी में एक विशेष प्रकार के अंडरवियर का चलन शुरू हुआ। यह काफी आरामदायक होते थे तथा इनकी लंबाई घुटनों तक होती थी। इसको सबसे पहले जॉन एल शुलीवन नामक बॉक्सर ने रिंग में पहना था इसलिए इसको “बॉक्सर” नाम से ही जाना जाने लगा।

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इतना होने के बाद में Y-Front Jockey Pant को 1935 में बनाया गया। इसको बनाने के बाद में शिकांगो में इसको बेचा गया। शिकांगो में आर्थर क्नैबलर नामक एक अप्प्रैल इंजीनियर की सेल लगी हुई थी। उस स्थान पर ही जॉकी नामक यह अंडरवियर चल निकला और दुनिया भर में हिट हो गया। हालांकि समय समय पर अंडरवियर के कई अलग-अलग डिजाइन और भी आये और उपयोग किये गए थे। खैर जो भी हो अंडरवियर का इतिहास कितना पुराना रहा है यह आज आप जान ही गए होंगे।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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