मध्य एशिया की प्राचीन सभ्यता वाला देश है उज्बेकिस्तान। इस देश का खिवा शहर आज भी अपने अंदर हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति को समेटे हुए है। इस शहर में एक बड़ी ही निराली परंपरा के अनुसार घरों का निर्माण किया गया था। जो हजारों वर्ष पहले भी आपसी भाईचारे की मिसाल कायम करती है। साथ ही उज्बेकिस्तान में आज भी श्री कृष्ण पूज्यनीय हैं।
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प्राचीन शहरों से पता चलता है कि हमारी सभ्यताओं में पहले भी आपसी भाईचारे को ही तवज्जो दी जाती थी। आपको बता दें कि उज्बेकिस्तान भी करीब 1400 वर्ष पुरानी सभ्यता को दर्शाता है। इस देश के खोरेज्म क्षेत्र से थोड़ी दूरी पर एक खिवा शहर में इस प्राचीनतम शहर की सभ्यता को संरक्षित करके रखा हुआ है। इस शहर की सभ्यता में अधिकतम घरों का रास्ता एक दूसरे के घरों के बीच में से होकर गुजरता था। इस तरह के रास्ते को बनाने का सबसे बड़ा कारण यह था कि लोग आपस में एक दूसरे के साथ जुड़े रहे और किसी भी परिस्थिति में आपसी सहयोग के साथ ही अपना जीवन यापन करें। इस शहर में अधिक लोग नहीं रहते थे, लेकिन यहां के घरों की वास्तुकला हजारों वर्ष पहले भी लाजवाब या बेजोड़ थी।
ईरानी लोगों द्वारा खोजा गया यह शहर-
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कहा जाता है कि यहां पर सबसे पहले ईरान से लोग आए थे। जिस कारण आज भी यहां पर पूर्वी ईरान की भाषा का प्रयोग किया जाता है। ईरानियों के पश्चात् इस शहर में तुर्की आए थे। तुर्की से आए लोगों ने यहां पर अपना शासन भी किया था। पुरातत्व विभाग के लोगों ने दावा किया है कि छठीं सदी में भी यह शहर मौजूद था। यहां की चीजों को देखने के बाद यही पता चलता है कि यह शहर इतने ही वर्ष पुराना है। शहर के इतिहास में वर्ष 1873 में रूसी जनरल कोन्सान्तिन वोन ने शहर पर हमले का जिक्र भी मिलता है।
कृष्ण भी पूजे जाते हैं यहां-
भगवान कृष्ण की महिमा केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व में कही जाती है। श्री कृष्ण के श्रद्धालु उज्बेकिस्तान में भी हैं। श्री कृष्ण को उज्बेकिस्तान में भी पूजा जाता है। इस देश में भी लोगों को कृष्ण के जीवन काल से जुड़ी सभी बातों का ज्ञान है। इतना ही नहीं यहां के लोगों के मन में श्रीकृष्ण के प्रति अपार श्रद्धा भाव है।