इस पूरी दुनिया में कई तरह के लोग और जीव-जंतु हैं। यह सब शायद एक दूसरे की बात ना समझ पाते हों, लेकिन दुनिया में प्यार एक ऐसी भाषा है जिसे हर कोई समझता है। एक जंगली और खूंखार जानवर को भी अगर प्यार मिले तो वह आपका अच्छा दोस्त बन सकता है। दोस्ती की कई सारी मिसालें अपनी सुनी होगी, लेकिन हम जिस दोस्ती की बात कर रहे हैं वो दो इंसानों की नहीं बल्कि एक 71 साल के बुजुर्ग व्यक्ति और एक पेंगुइन की है। इन दोनों की दोस्ती की मिसालें दी जाती हैं। जंगली जानवरों और इंसान के बीच दोस्ती के किस्से भी आपने कई सुने होंगे, लेकिन किसी ग्लेशियर में रहने वाले जीव की किसी इंसान से इतनी गहरी दोस्ती आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी। अपने दोस्त से मिलने के लिए यह पेंगुइन हर साल 8000 किलोमीटर का सफर तैरकर पूरा करता है।
ऐसे हुई थी दोनों की दोस्ती की शुरूआत
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दरअसल हुआ यूं था कि कुछ साल पहले जोआओ एक आइलैंड पर रहते थे और पेशे से एक मिस्त्री थे। इसके अलावा कभी-कभी वह मछली पकड़ कर भी पैसा कमा लिया करते थे। यह 2011 की बात है जब वह एक दिन तट पर मछली पकड़ने गए हुए थे। तभी उन्हें चट्टानों के बीच में एक छोटा सा पेंगुइन दिखाई दिया। उसके पूरे शरीर पर तेल लगा था और वह ऐसे छटपटा रहा था जैसे कि भूख के कारण मरने वाला हो।
यह देख कर जोआओ को उस नन्हें पेंगुइन पर दया आ गई और वह इसे अपने घर पर ले कर आ गए। इस पेंगुइन को उन्होंने डिनडिम पुकारना शुरू कर दिया। उन्होंने डिनडिम को तब तक अपने पास रखा जब तक वह ठीक नहीं हो गया। उसके शरीर पर डामर जैसा कोई पदार्थ चिपका हुआ था, जिसे हटाने में जोआओ को पूरा एक हफ्ता लग गया था। जब उन्हें लगा कि यह पेंगुइन अब ठीक हो गया है तो वह उसे वापस समुन्द्र के पास छोड़ आए।
फिर वापस लौट आया डिनडिम
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लेकिन कुछ ही महीनों में डिनडिम जोआओ से मिलने वापस टापू पर लौट आया। जब जोआओ ने उसे देखा तो वह उसे फिर अपने घर ले आए। तब से डिनडिम साल के आठ महीने जोआओ के घर पर ही बिताता है और बाकी के चार महीने वह ब्रीडिंग करने के लिए अर्जेंटीना में रहता है। इसके बाद वह दोबारा से 8000 किलोमीटर का सफर तैरकर पूरा करता है और जोआओ के पास आता है। जोआओ डिनडिम को अपने बच्चे जैसा प्यार करते हैं।