देखा जाए तो अपने देश में ऐसे बहुत से स्थान हैं जो की भले ही पुरातन हो पर उनकी नींव में कोई न कोई कहानी जरूर छिपी होती है। चाहें वह ताजमहल हो या फिर चित्तौड़ स्तंभ। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसे ताजमहल की तरह ही प्यारा की निशानी कहा जाता है। पर यह ताजमहल से 1100 साल पुरानी है। इसका नाम है लक्ष्मण मंदिर।
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लक्ष्मण मंदिर
यह मंदिर ताजमहल से 1100 साल पहले निर्मित किया गया था। इसको उस समय से ही प्यार की निशानी माना जाता है। यह छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले में स्थित है। महासमुंद जिले की सिरपुर तहसील में स्थित यह मंदिर सिर्फ एक स्मारक ही नहीं है बल्कि ऐतिहासिक प्रेम की निशानी के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे अलग बात यह है, इसको किसी पुरुष ने नहीं बल्कि एक स्त्री ने बनवाया था।
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किसने कराया था निर्माण
इस मंदिर का निर्माण रानी वासटा देवी ने सम्राट हर्षगुप्त की याद में करवाया था। रानी वासटा देवी और हर्षगुप्त की प्रेम कहानी का उल्लेख चीनी यात्री व्हेनसांग ने भी अपने यात्रा वृतांत में किया है, वे 6वी शताब्दी में सिरपुर आये थे। वासटा देवी मगध नरेश सूर्य बर्मा की बेटी थी। उनका विवाह श्रीपुर (अब सिरपुर) के राजा हर्षगुप्त से हुआ था। वर्तमान में इस स्थल पर खुदाई चल रही है और इसमें कई प्रकार के शिलालेख मिले हैं, इन शिलालेखों के अनुसार राजा हर्षगुप्त की मृत्यु के बाद रानी वासटा देवी ने उनकी याद में यह मंदिर बनवाया था।
मंदिर की विशेषतायें
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1- यह मंदिर मिट्टी की लाल ईटो से बना है।
2- यहां पर विष्णु के दशावतार दर्शाये गए हैं।
3- संरक्षण की कमी के बावजूद 1500 सालों से यह मंदिर अपने मूल रूप में खड़ा है।
4- दक्षिण की शैव और मगध की वैष्णव संस्कृति को मिला कर यह मंदिर बनाया गया है।
5- यूरोपियन साहित्यकार एडविन एमरल्ड ने इस मंदिर को नारी के मौन प्रेम का साक्षी बताया था।