विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट को फतह करना हर किसी के बस की बात नहीं है। यह बेहद दुर्गम रास्तों वाला पर्वत है। एवरेस्ट पर चढ़ने वाले व्यक्ति को देश का गौरव समझा जाता है। सरकार की ओर से इस तरह के काम करने वाले व्यक्तियों को कई लाभ दिए जाते हैं। साथ ही ऐसे लोगों को सरकार की ओर से मिलने वाली नौकरियों में भी विशेष छूट देने का प्रवाधान है, लेकिन सरकार के खोखले वादों के कारण एवरेस्ट को फतह करने वालों को भी मुफलिसी का जीवन बिताना पड़ रहा है। सरकार के उदासीन रवैए के कारण हरियाणा के राम लाल शर्मा को एवरेस्ट फतह करने के बाद भी सब्जी बेचकर अपने परिवार का गुजारा करना पड़ रहा है।
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हरियाणा के फतेहाबाद के रहने वाले राम लाल शर्मा ने वर्ष 2013 में एवरेस्ट फतह किया। एवरेस्ट को जीत लेने के बाद राम लाल को देश का गौरव कहा जाने लगा। पहले हरियाणा सरकार की ओर से तय किया गया था कि एवरेस्ट फ़तह करने वाले को सरकारी नौकरी पर रखा जाएगा, लेकिन जब हरियाणा सरकार की ओर से ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई गई तो इस लिस्ट में राम लाल का नाम नहीं जोड़ा गया। ऐसे में रामलाल ने हरियाणा और पंजाब के हाईकोर्ट में सरकारी नौकरी की मांग के लिए याचिका दायर की। इस याचिका पर कोर्ट में सुनवाई की गई। इस सुनवाई में हरियाणा सरकार की ओर से जवाब दायर करने के लिए समय मांगा गया। जिस पर कोर्ट की ओर से हरियाणा सरकार को एक सप्ताह का समय दिया गया।
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फिलहाल अभी राम लाल सब्जी बेचकर अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं, क्योंकि सरकारी नौकरी मिलने का इंतजार इतना लंबा हो गया है कि अब उन्हें गुजारा करने के लिए सब्जी ही बेचनी पड़ रही है। वहीं, सरकार की ओर से खिलाड़ियों को उनका हक समय पर न मिल पाने का यह इकलौता वाकया नहीं है। पहले भी सरकार के वादे के खिलाफ खिलाड़ियों को कई बार कोर्ट जाना पड़ा है।