अंतिम संस्कार के ये 5 विचित्र तरीके, जो आपको हैरान कर देंगे

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पूरी दुनिया में अलग-अलग धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं। हर धर्म में मृत्यु के बाद व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। आपने शायद आज तक अंतिम संस्कार के दो ही तरीके सुने होंगे, शव जलाना या फिर दफनाना लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में अंतिम संस्कार करने के ऐसे कई विचित्र तरीके हैं जिनके बारे में जानकर शायद आप हैरानी में पड़ जाएं। हम यहां आपको अंतिम संस्कार के 5 ऐसे ही अजीब लगने वाले तरीकों के बारे में बता रहे हैं।

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शव को खाने की परंपरा

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शव को पानी में बहाना या गुफा में रखना

अंतिम संस्कार की यह अमानवीय सी लगने वाली परंपरा ब्राज़ील व न्यू गिनी के कुछ स्थानों में है। साथ ही जंगली क्षेत्रों और कुपोषित राष्ट्रों में भी इस तरह का रिवाज़ है। इस रिवाज़ के मुताबिक किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसके शव को खाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन स्थानों पर खाद्य सामग्री काफी मुश्किल से प्राप्त हो पाती है। इसलिए ये लोग मरने के बाद इंसानी शरीर को ही खा लेते हैं, लेकिन अब इस तरीके को बहुत कम स्थानों पर ही माना जाता है।

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गला घोंट देने की परंपरा

पहले के समय में इराकी सभ्यता व इज़राइल में मरने वाले लोगों को गुफा में रखा जाता था और फिर बाहर से पत्थर रखकर गुफा को बंद कर दिया जाता था। यह गुफाएं शहर के बाहरी इलाकों में स्थित होती थीं। बताया जाता है कि ईसा को सूली से उतारने के बाद मृत मानकर उनके शरीर को गुफा में ही रखा गया था। इतिहासकारों के मुताबिक सबसे पहले यहूदियों ने शव को गुफा में रखने या दफ़नाने की परंपरा की शुरूआत की थी। इंका सभ्यता के लोग भी शवों को गुफाओं या फिर खोहों में रखा करते थे, जबकि दक्षिणी अमेरिका की कुछ सभ्यताओं में शव को नदियों व जलाशयों में प्रवाहित कर उनका अंतिम संस्कार करने की परंपरा है।
गला घोंट देने की परंपरा

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फिजी के दक्षिणी प्रशांत द्वीप पर भारत की प्राचीन सती प्रथा की तरह ही एक परंपरा है। इस परंपरा के मुताबिक मरने वाले व्यक्ति को अकेले छोड़ा नहीं जा सकता, इसलिए मरने वाले व्यक्ति के साथ उसके किसी प्रियजन को भी अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ता है। इसलिए यहां व्यक्ति के किसी करीबी का गला घोंट दिया जाता है। ये लोग मानते हैं कि ऐसा करने से मृत व्यक्ति को किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होता।
पारसी अंतिम संस्कार

पारसी अंतिम संस्कार

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पारसी समुदाय में शव को ना तो जलाया जाता है और ना ही उसे दफनाया जाता है। पहले के समय में यह लोग मृतक को चील घर में रख दिया करते थे, जहां चील तथा गिद्द शव को अपना भोजन बना लिया करते थे लेकिन आजकल ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं है। अब यह लोग मृतक के शरीर को कब्रिस्तान में रख दिया करते हैं। यहां रखी सौर ऊर्जा की विशालकाय प्लेटों के कारण शव धीरे-धीरे अपने आप जलने लगता है और राख में बदल जाता है।

व्रजयान बौद्ध संप्रदाय की विचित्र परंपरा

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इस सम्प्रदाय के लोग काफी अलग और अनोखी तरह से अंतिम संस्कार करते हैं। ये लोग पहले मृतक के शरीर को शमशान पर लेकर जाते हैं। यह जगह काफी ऊंचाई पर स्थित होती है। शव को यहां लाने के बाद लामा लोग धूप और बत्ती जलाकर मृतक के शरीर की पूजा करते हैं। फिर एक कर्मचारी शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में अलग करता है।

इसके बाद दूसरा कर्मचारी इन टुकड़ों को जौ के आटे के घोल में डुबो कर बाहर निकलता है। अब यह टुकड़े खाने के लिए गिद्दों के आगे डाल दिए जाते हैं। जब गिद्द इन टुकड़ों से सारा मांस खा लेते हैं, तब हड्डियों को चुन कर उनका चूरा किया जाता है। इसके बाद याक के दूध से बना मक्खन और जौ के आटे के घोल में इन हड्डियों को डुबोकर बाज और कौओं को खाने के लिए दे दिया जाता है।

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