ये हैं दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, जानिए इसके इतिहास के बारे में

-

मंदिर के बारे में यदि बात करें तो भारत का शायद ही की ऐसा कोई हिस्सा होगा जहां पर शिव मंदिर न हो पर आज हम आपको बता रहें हैं एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में जो दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है और इसकी खास बात सिर्फ इसकी ऊंचाई ही नहीं है बल्कि इसको खास बनाता है इसका भव्य और स्वर्णिम इतिहास। आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

दुनिया के इस सबसे ऊंचे शिव मंदिर का नाम है “श्री विश्वनाथ मंदिर”, जो की बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्थित है, इसकी उंचाई करीब 252 फुट है। इस मंदिर के प्रमुख शिखर के अलावा दो और शिखर हैं, मंदिर के अंदर की दीवारों पर श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक लिखे हैं, जो की यहां पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कर्मयोग की प्रेरणा देते हैं। इस मंदिर की कई दीवारों पर संतों के वचनों को भी उकेरा गया है। मंदिर के बाहर में कई सुंदर मूर्तियां बनी हुई हैं और बाहर के प्रांगण की खूबसूरती देखते ही बनती है, इस खूबसूरती को देखते ही बहुत से लोग मंदिर की और स्वयं आकर्षित हो जाते हैं। यही कारण है कि यहां पर कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है, इस मंदिर को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का प्राण कहा जाए तो गलत नहीं होगा। मंदिर में उपासना के समय लयबद्ध तरीके से इलेट्रॉनिक यंत्रों से ढोल और ताशे बजते हैं जिनको सुनकर कोई भी मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रहता।

lord -shiva1Image Source:

यह है मंदिर का स्वर्णिम इतिहास –
सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि इस मंदिर की स्थापना बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक “पंडित मैदन मोहन मालवीय” के सपनों के आधार पर ही की गई है और इस मंदिर को मालवीय जी की इच्छा के अनुरूप आकार देने का श्रेय जाता है “युगल किशोर बिरला” को, जो की भारत के एक जाने-माने उद्योगपति रहें हैं।

lord -shiva2Image Source:

बात असल में उस समय की है जब मालवीय जी अपने जीवन के अंतिम समय को पूरा कर रहें थे तो एक दिन उनको मौन देख कर युगल किशोर ने पंडित जी से मंदिर निर्माण के बारे में पूछ लिया, युगल किशोर के इस प्रश्न पर पंडित जी चुप हो गए और तब युगल किशोर ने उनके मन की चिंता को भांप कर कहा कि “आप चिंता न करें, मैं वचन देता हूं कि मैं पूरी तत्परता के साथ में मंदिर के कार्य में लगूंगा”, इसके बाद ही पंडित जी पूरी तरह आश्वस्त हुए। इस वचन के कुछ समय बाद में मालवीय जी हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गए। अपने वचन के फलस्वरूप युगल किशोर ने इस मंदिर का निर्माण किया और इसको मालवीय जी के सपनों के अनुसार आकार दिया। 11 मार्च 1931 को इस मंदिर का शिलान्यास किया गया और 17 फरवरी 1958 को शिवरात्रि के शुभअवसर पर भगवान विश्वनाथ को इस मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया।

lord -shiva3Image Source:

इस मंदिर में वैसे तो हजारों लोग दिनभर में दर्शन करने के लिए आते हैं परंतु सावन के माह में यहां आने वाले लोगों की संख्या में लगभग ढाई गुना इजाफा हो जाता है। सावन के माह के अलावा महाशिवरात्रि और सप्ताह के हर सोमवार को देश-विदेश से यहां पर भगवान शिव के बहुत से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के ऊंचे शिखर के अलावा यहां का धार्मिक माहौल दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments