बेरहम अस्पताल: 500 रुपये नहीं मिले तो गर्भवती को भगाया, सड़क पर हुई डिलीवरी

-

सरकार गरीब लोगों के लिए आए दिन नई-नई योजनाएं लाती रहती है। कभी आवास योजना तो कभी जननी सुरक्षा योजना। जिससे गरीब लोगों को भी हर सुविधा मुहैया हो सके, लेकिन देश के सरकारी अस्पतालों का हाल भी किसी से छिपा नहीं है। आज हम आपको देश के अस्पतालों से जुड़ा एक ऐसा मामला बताने जा रहे हैं जिसको जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे। देश के जिन अस्पतालों को गरीब लोगों के इलाज और सुविधाएं देने की लिए खोला गया है उसकी हकीकत जानने के बाद आज आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। दरअसल यूपी के एक सरकारी अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है।

pregnancyImage Source :http://www.livescience.com/

जिस जननी सुरक्षा योजना को जच्चा बच्चा की सुरक्षा के मद्देनजर शुरू किया गया था, आज उसी योजना की पोल खोल रहा है लखनऊ के पास का ये सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। यहां पर प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती महिला को सिर्फ इसलिए भर्ती नहीं किया गया क्योंकि उसके पास देने के लिए 500 रुपये नहीं थे। इतना ही नहीं उसे स्टाफ ने अस्पताल से भी भगा दिया। जिसके बाद बीच सड़क पर महिला ने बच्ची को जन्म दे दिया। महिला के पति के पास सिर्फ तीन सौ रुपये थे। वह अस्पताल प्रशासन के आगे काफी गिड़गिड़ाया भी, लेकिन अस्पताल प्रशासन को बिल्कुल तरस नहीं आया। उसे जबरन हीमोग्लोबिन की कमी बताकर बरेली के जिला अस्पताल के लिए रेफर करने की स्लिप थमा दी गई। जिसके बाद जब वह अपनी पत्नी को लेकर घर लौटने लगा तो रास्ते में ही सड़क किनारे महिला ने बच्ची को जन्म दे दिया।

जिसके बाद उसके चारों तरफ राहगीरों की भीड़ जमा हो गई और सीएचसी को राहगीरों ने एंबुलेंस के लिए फोन भी कर दिया। वहीं, उसके पति को भी लगा कि शायद अब अस्पताल प्रशासन मान जाए। वह अपनी पत्नी और बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचा लेकिन फिर भी बेरहम स्टाफ ने उन्हें देखने तक से मना कर दिया। अस्पताल प्रशासन ने दलील यह दी कि बच्चा अस्पताल के बाहर हुआ है। इसके लिए प्रभारी चिकित्सक के ऑर्डर के बिना वो भर्ती नहीं करेंगे और वह मीटिंग में हैं, पता नहीं कब फ्री होंगे। जिसके बाद काफी देर इंतजार करने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्ची को अपने घर ले आया और अब भगवान की दया से दोनों स्वस्थ भी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन सब के बाद मामले को बढ़ता देख भोजीपुरा सीएचसी के प्रभारी डॉ. सौरभ सिंह का बयान भी सामने आया।

badImage Source :http://spiderimg.amarujala.com/

डॉ. सौरभ सिंह ने कहा कि- ‘गर्भवती महिला आई थी, लेकिन उसका हीमोग्लोबिन 8 ग्राम पाया गया। प्रसव हो जाता, लेकिन बाद में खून चढ़ाने और अन्य दिक्कत न हो इसके लिए तीमारदारों को बताकर उसे रेफर किया गया। 102 और 108 बुलाने की ड्यूटी हमारी नहीं है। वह लखनऊ से देखी जाती है। इसलिए तीमारदार सीधे फोन कर सकते हैं। प्रसव होने के बाद वे फिर अस्पताल लेकर आए थे, महिला को भर्ती भी किया गया, लेकिन तीमारदार उसे ले गए। लिखित शिकायत मिली तो दोषियों के खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई भी की जाएगी। कल स्टाफ से इसका स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा। सीएचसी पर लेडी डॉक्टर की तैनाती भी नहीं है। ऐसे मे डिलीवरी का काम स्टाफ नर्स और एचबी शांता दत्ता देखती हैं। उस वक्त इमरजेंसी ड्यूटी पर डॉ. अमित थे। चूंकि प्रसव अस्पताल के बाहर हुआ है इसलिए प्रसूता को जननी सुरक्षा योजना का लाभ भी नहीं मिलेगा।’

वहीं स्वास्थ्य व परिवार कल्याण के संयुक्त निदेशक डॉ. सुबोध शर्मा का कहना है की ‘ सुरक्षित प्रसव सरकार की प्राथमिकता में है। यह बहुत गंभीर मामला है। पहले जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर ही कार्रवाई होगी।’

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments