बेटे की अंतिम यात्रा को पिता ने निकाला ढोल नगाड़े तथा आतिशबाजी के साथ, आखिर क्यों

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अंतिम यात्रा

अपने बहुत सी मृत्यु यात्राएं देखी होंगी, पर किसी मृत्यु यात्रा में बैंड बाजा तथा ढोल नगाड़े बजते नहीं देखें होंगे। हाल ही में एक ऐसी ही अंतिम यात्रा खूब वायरल हो रही है जिसको बैंड बाजो और आतिशबाजी के साथ निकाला गया था। इस मृत्यु यात्रा को देखने वाले लोग भी हैरान थे। वे समझ ही नहीं पाए की मृत लड़के के पिता ने आखिर ऐसा क्यों किया।

अंतिम यात्राImage source:

आपको बता दें कि यह खबर गुजरात के बड़ोदरा से सामने आई है। यहां पर एक परिवार में बूढ़े व्यक्ति का बेटा मर गया था। जिसके बाद पिता ने उसकी अंतिम यात्रा को ढोल नगाड़ो तथा आतिशबाजी के साथ निकलवाया। मृत युवक का नाम भरत परमार था। बेटे की अंतिम यात्रा को धूमधाम से निकालने के पीछे आखिर क्या विचार था। इस बारे में मृतक के पिता गोरधन भाई परमार का कहना है कि “मेरे बेटे ने अपने परिवार के लिए बहुत कुछ किया था। उसने अपने पूरे जीवन को परिवार को समर्पित कर दिया था। बेटे के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए ही मैंने उसकी अंतिम यात्रा ढोल नगाड़े तथा आतिशबाजी के साथ निकाली। भरत इस परिवार के लिए कड़ी मेहनत करता था। उसकी पत्नी तथा बेटियों की इच्छा से ही मैंने उसकी अंतिम यात्रा को इस प्रकार से निकलवाया है।” गोरधन भाई आगे कहते हैं कि “मुझे हमेशा से कुछ अलग करने की इच्छा रही है। मेरे समय में लोग घोड़ो पर बैठ कर बारात निकालते, थे पर मैंने ऊंट पर बैठ कर बारात निकाली थी। इस बार मैंने बेटे की अंतिम यात्रा को इस अनोखे तरीके से निकाल कर एक नया चलन शुरू किया है।”

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आपको बता दें की इस अंतिम यात्रा में आतिशबाजी तथा ढोल नगाड़े के साथ साथ बैंड बाजे का भी पूरा इंतजाम था। कोई इस पूरे तामझाम को देखकर यह नही कह सकता था कि यह किसी की अंतिम यात्रा जा रही है। यह अंतिम यात्रा करीब 40 मिनट तक बैंड बाजे के साथ चली। बैंड वाले लोग लगातार “रघुपति राघव राजा राम भजन” जैसे भजन चला रहें थे। आपको बता दें कि बडोदरा के करोडिया गांव के निवासी भरत परमार की मृत्यु अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण हो गई थी।

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