रविवार के बाद आने वाला दिन”सोमवार” हर किसी को बोर करने वाला दिन कहा जाता है। यह एक ऐसा दिन माना जाता है जो हमारे उत्साह को कम करता है। और चिड़चिड़ा बना देता है और हम चाहते हैं कि यह जल्द से जल्द ना आए। स्कूल के दौरान, भी कुछ बच्चों को यह दिन अच्छा लगता था तो कुछ को खराब। आखिर रविवार के बाद आने वाले इस दिन (सोमवार) को हम पसंद क्यो नही करते है जानते है इसके बारें में…
संडे का इंतजार –
अक्सर हम पूरे सप्ताह काम करने के बाद संडे का इंतजार बड़ी ही बेसब्री के साथ करते है। पर क्या आप जानते है कि संडे-मंडे से भी ज्यादा व्यस्त वाला दिन होता है। और इस दिन हमारा पूरा समय काम में ही निकल जाता है। जिसकी थकान हम दूसरे दिन तक महसूस करते है।
सुबह जल्दी उठना –
रोज के दिन की अपेक्षा छुट्टी वाले दिन हमारी नींद बिना अलार्म के ही खुल जाती है। और आप सुबह जल्दी उठ जाते हैं जल्दी उठने से खुद को फ्रेश व एनर्जेटिक महसूस करते हैं। तब आप सोचते हैं ऐसा मंडे को क्यों नहीं होता?
घर की साफ सफाई –
रविवार वाला दिन ही ऐसा होता है जब आप घर में रहते हैं औऱ सुबह उठकर पूरे इत्मीनान से रसोई में जाकर अराम वाली चाय पीते है। फिर शुरू होता है आपका सफाई अभियान, जिसमें आपका पूरा दिन निकल जाता है और फिर आप शाम को इतना थक जाते है कि खा-पीकर सीधे आऱाम करते हैं जैसे कि ऑफिस से आने के बाद करते थे।
लॉन्डरी –
पूरे सप्ताह ऑफिस जाने के दौरान 6 दिनों के ढेर सारे कपड़े भी इकट्ठे हो जाते है। यदि इसकी सफाई को नकार भी दिया जाये, तो अगले दिन ऑफिस पहनकर जाने के लिए कोई कपड़ा नहीं है। मतलब पूरा दिन आपका बाथरुम में जायेगा। संडे का पूरा दिन अराम की वजाय काम में चला जाता है। जिससे कि दूसरे दिन भी अराम नही मिल पाता।
शाम को होना –
काम करने के बाद दोपहर को आप आराम करने अपने बिस्तर में जाते है तो इतना जल्दी शाम के पांच बज जाते हैं औऱ आपकी अगले दिन की तैयारी शुरू हो जाती है। यानी अचानक से आपको लगता है छुट्टी का दिन खत्म हो गया और फिर अगली सुबह आपको ऑफिस जाना है।