इस खिलाड़ी की लंबाई को देख आप भी हो जाएंगे हैरान

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इस बार रियो पैरालिंपिक में ये नए-नए कारामात दिखने को मिल रहे है यहां पर हर खिलाड़ी अपनी काबलियत के दम पर बने हुए रिकार्ड्स को तोड़कर नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। अभी हाल ही में एक खेल की एक तरफा जीत दर्ज की गई तो सभी लोग आश्चर्य में पढ़ गए। इस खेल में एक खिलाडी के सामने कोई भी प्रतिद्वंदी टिक ही नहीं पाया और गोल्ड मेडल बिना किसी कोशिश के उस खिलाडी के हाथों में आ गया।

यह अद्भुत नजारा उस समय देखने को मिला, जब ईरान की सिटिंग वॉलीबॉल की टीम अपना प्रदर्शन दिखा रही थी और इस खेल में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे थें मुर्तजा मेहरजाद। मुर्तजा मेहरजाद (28 वर्षीय) यह खिलाड़ी ऐसा था जिसकी अद्भुत लंबाई के कारण सभी प्रतिद्वंदी बौने लग रहे थे। वॉलीबॉल के इस खिलाड़ी की लंबाई 8 फीट, 1 इंच है जो पूरे रियो पैरालिंपिक में धूम मचा रही थी।

iranian-male-paralympic1Image Source:

ईरान की तरफ से खेलने वाले 28 वर्षीय खिलाड़ी मुर्तजा की हाइट यहां पर सबसे लंबी आंकी गई है। जो इस प्रतियोगिता में दुनिया का सबसे लंबा खिलाड़ी साबित हुआ है। इससे पहले तुर्की के सुल्तान कोसेन, जिनकी लंम्बाई (8 फीट, 2 इंच) थी। वह इससे भी ज्यादा लंबे हैं। मुर्तजा की हाइट की खासियत यह भी है कि लंबाई के साथ इनका एक शरीर बढ़ रहा है तो दूसरे की ग्रोथ अब रूक चुकी है। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि 15 वर्ष की आयु में एक एक्सीडेंट के दौरान इनका दाएं पैर का बढ़ना रुक गया था। जिसके कारण उनका बाया पैर दाएं पैर की तुलना में छह इंच लंबा है। इसी वजह से वो चलने में डगमगाते है और बिना किसी सहारे के चल पाना उनके लिए मुश्किल होता है, पर उन्होंने अपने जीवन से हार नहीं मानी और कुछ करने की सोची। अपनी लाइफ को आगे बढ़ाने के लिए उन्होनें सिटिंग वॉलीबॉल को अपना ध्येय बनाकर खेलना शुरू किया। इस खेल में बड़ी मेहनत करने के बाद उनका सिलेक्शन ईरान की पैरालिंपिक टीम में हो गया।
मुर्तजा की बढ़ रही लबांई का सबसे बड़ा कारण उनकी एक्रोमिगेली नामक बीमारी है। जिससे उनके शरीर में ग्रोथ हार्मोन का स्तर सामान्य की अपेक्षा काफी बढ़ रहा है। इससे उनकी लंबाई अब रूकने का नाम भी नहीं ले रही है। माना जाता है ऐसे लोगों की जिंदगी भी काफी कम होती है। जिसका मुर्तजा को कोई मलाल नहीं है उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्होंने अपनी कमजोरी को कभी सामने नहीं आने दिया। आज वो मजबूत होकर इस जगह पर खड़े है, जहां से उन्हें अद्भुत पहचान मिली। जिसका उन्हें गर्व है।

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